लखनऊ, 31 मई 2025, शनिवार। उत्तर प्रदेश की मऊ सदर सीट से विधायक और मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी के लिए एक बड़ा झटका! शनिवार को एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट ने उन्हें 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान दिए गए एक भड़काऊ भाषण के मामले में दोषी ठहराते हुए दो साल की सजा सुनाई है। इस फैसले ने न केवल अब्बास की राजनीतिक राह में कांटे बिछा दिए हैं, बल्कि मऊ की सियासत में भी भूचाल ला दिया है। अब सबकी नजरें इस सवाल पर टिकी हैं: क्या अब्बास अंसारी की विधायकी खतरे में है?
भड़काऊ बयान ने बुलाई मुसीबत
बात 2022 की है, जब विधानसभा चुनाव के जोश में अब्बास अंसारी ने मऊ में एक जनसभा के दौरान मंच से अधिकारियों को खुलेआम धमकी दी थी। उनका यह बयान, जिसमें उन्होंने कहा था कि “सत्ता में आने पर पुराने अधिकारियों से हिसाब चुकता करेंगे और उन्हें किसी कीमत पर नहीं छोड़ेंगे,” सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गया। यह वीडियो वायरल हुआ, और चुनाव आयोग के निर्देश पर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई। पुलिस जांच, चार्जशीट, और अब कोर्ट का फैसला—अब्बास को भारतीय दंड संहिता (IPC) की चार धाराओं के तहत दोषी पाया गया।
कोर्ट का फैसला: सजा और जुर्माना
एमपी/एमएलए कोर्ट के जज डॉ. केपी सिंह ने अब्बास अंसारी को निम्नलिखित धाराओं के तहत सजा सुनाई:
धारा 189 (लोक सेवक को धमकी): 2 साल की सजा
धारा 153ए (समुदायों के बीच वैमनस्य फैलाना): 2 साल की सजा
धारा 506 (आपराधिक धमकी): 1 साल की सजा
धारा 171एफ (चुनावी अपराध): 6 महीने की सजा
खास बात यह है कि कोर्ट ने सभी सजाओं को एक साथ चलाने का आदेश दिया, यानी अब्बास को कुल दो साल की जेल और 2000 रुपये का जुर्माना भुगतना होगा। इस मामले में उनके छोटे भाई उमर अंसारी को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया, जबकि सह-आरोपी मंसूर अंसारी को साजिश रचने के लिए 6 महीने की सजा मिली।
क्या अब्बास की विधायकी पर लटक रही है तलवार?
कोर्ट के इस फैसले ने अब्बास अंसारी की विधानसभा सदस्यता पर सवालिया निशान लगा दिया है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 102(1) और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के अनुसार, अगर किसी सांसद या विधायक को दो साल या उससे अधिक की सजा होती है, तो उनकी सदस्यता अपने आप रद्द हो जाती है। अब्बास को मिली दो साल की सजा इस कानूनी कसौटी पर खरी उतरती है, जिससे उनकी विधायकी पर खतरा गहरा गया है।
2022 में अब्बास ने सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के टिकट पर मऊ सदर सीट से जीत हासिल की थी। लेकिन अब यह सजा उनके राजनीतिक करियर के लिए एक बड़ा धक्का साबित हो सकती है। सियासी गलियारों में चर्चा तेज है, और सभी की निगाहें उत्तर प्रदेश विधानसभा सचिवालय पर टिकी हैं, जो उनकी सदस्यता पर अंतिम फैसला लेगा।
मऊ की सियासत में हलचल
अब्बास अंसारी का यह मामला न केवल उनके लिए, बल्कि मऊ की राजनीति के लिए भी एक टर्निंग पॉइंट हो सकता है। उनके पिता मुख्तार अंसारी का इस क्षेत्र में लंबा प्रभाव रहा है, लेकिन अब यह सजा अब्बास के सियासी भविष्य पर सवाल उठा रही है। क्या यह मामला मऊ की सियासत में नए समीकरण बनाएगा? क्या अब्बास इस कानूनी जंजाल से निकल पाएंगे? ये सवाल हर किसी के जेहन में हैं।
आगे क्या?
अब्बास अंसारी के पास अभी ऊपरी अदालत में अपील करने का रास्ता खुला है। लेकिन अगर उनकी सजा बरकरार रहती है, तो विधायकी जाने का खतरा लगभग तय है। मऊ की जनता और सियासी हलकों में इस फैसले की गूंज लंबे समय तक सुनाई देगी। क्या अब्बास इस संकट से उबर पाएंगे, या यह उनके राजनीतिक करियर का अंत होगा? समय और कानून इसका जवाब देगा।