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Thursday, April 18, 2024

अब सेना होगी और सशक्त, नेविगेशन सैटेलाइट एनवीएस-1 का प्रक्षेपण हुआ सफल

अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सोमवार सुबह भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी) से नेविगेशन सैटेलाइट ‘नाविक’ एनवीएस-1 को प्रक्षेपित कर दिया। यह सैटेलाइट खासकर सशस्त्र बलों को मजबूत करने और नौवहन सेवाओं की निगरानी के लिए बनाया गया है। भारत के अपने पोजिशनिंग सिस्टम ‘नाविक’ से लैस होकर जवान और सशक्त व घातक होंगे।

नाविक अमेरिकी ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) का जवाब है। नाविक का इस्तेमाल स्थलीय, हवाई और समुद्री परिवहन, लोकेशन-आधारित सेवाओं, निजी गतिशीलता, संसाधन निगरानी, सर्वेक्षण और भूगणित, वैज्ञानिक अनुसंधान, समय प्रसार और आपात स्थिति में किया जाएगा।

2232 किलो वजनी सैटेलाइट
श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन केंद्र से लॉन्च।
प्रक्षेपण के 20 मिनट बाद रॉकेट करीब 251 किमी की ऊंचाई पर भू-स्थिर स्थानांतरण कक्ष में उपग्रह को करेगा स्थापित

1500 किमी क्षेत्र में तात्कालिक स्थिति तथा समय संबंधी सेवाएं प्रदान करेगा

सेवाओं की निरंतरता सुनिश्चित करेगा स्वदेशी नेविगेशन सिस्टम ‘नाविक’
भारत अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी) से नेविगेशन सैटेलाइट ‘नाविक’ को प्रक्षेपित करने की तैयारी पूरी कर ली है। वैज्ञानिकों ने सोमवार को प्रक्षेपित किए जाने वाले सैटेलाइट के लिए 27.5 घंटे की उल्टी गिनती रविवार सुबह 7.12 बजे शुरू की थी। नाविक अमेरिकी ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) का जवाब है। नाविक (भारत का स्वदेशी नेविगेशन सिस्टम) सेवाओं की निरंतरता सुनिश्चित करेगा।

जीपीएस की तरह ही काम करने वाला यह सैटेलाइट भारत और मुख्य भूमि के आसपास करीब 1,500 किमी के क्षेत्र में तात्कालिक स्थिति तथा समय संबंधी सेवाएं प्रदान करेगा। नाविक को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि सिग्नल 20 मीटर से बेहतर उपयोगकर्ता की स्थिति और 50 नैनोसेकंड से बेहतर समय सटीकता प्रदान कर सके।

इसका इस्तेमाल स्थलीय, हवाई और समुद्री परिवहन, लोकेशन-आधारित सेवाओं, निजी गतिशीलता, संसाधन निगरानी, सर्वेक्षण और भूगणित, वैज्ञानिक अनुसंधान, समय प्रसार और जीवन सुरक्षा चेतावनी प्रसार में किया जाता है। सोमवार को मिशन स्वदेशी क्रायोजेनिक चरण के साथ जीएसएलवी की छठी परिचालन उड़ान है। इसरो के मुताबिक, एनवीएस-01 का मिशन जीवन 12 साल से ज्यादा रहने की उम्मीद है। एजेंसी

चुनिंदा देशों में शामिल होगा
नाविक एसपीएस सिग्नल अमेरिकी ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम सिग्नल, जीपीएस, रूस से ग्लोनास, यूरोपीय संघ के गैलीलियो और चीन के बेईदोऊ के साथ इंटरऑपरेबल हैं।

प्रक्षेपण के 20 मिनट पर होगा स्थापित
सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लॉन्च पैड से 51.7 मीटर लंबा जीएसएलवी अपनी 15वीं उड़ान में एनवीएस-01 नेविगेशन सैटेलाइट को लेकर रवाना होगा। प्रक्षेपण के करीब 20 मिनट बाद रॉकेट करीब 251 किमी की ऊंचाई पर भू-स्थिर स्थानांतरण कक्षा (जीटीओ) में उपग्रह को स्थापित करेगा।

एनवीएस-01 नेविगेशन पेलोड एल1, एल5 और एस बैंड से संचालित है। एल1 नेविगेशन बैंड नागरिक उपयोगकर्ताओं के लिए स्थिति, नेविगेशन और समय सेवाएं प्रदान करने और अन्य जीएनएसएस (ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम) सिग्नल के साथ इंटरऑपरेबिलिटी प्रदान करने के लिए लोकप्रिय है।

पहली बार स्वदेशी विकसित रूबिडियम परमाणु घड़ी का इस्तेमाल
इसरो के मुताबिक, यह पहली बार स्वदेशी रूप से विकसित रूबिडियम परमाणु घड़ी का प्रक्षेपण में उपयोग किया जाएगा। अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार, वैज्ञानिक पहले तारीख और स्थान का निर्धारण करने के लिए आयातित रूबिडियम परमाणु घड़ियों का इस्तेमाल करते थे। अब अहमदाबाद स्थित अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र में विकसित रूबिडियम परमाणु घड़ी होगी। यह महत्वपूर्ण तकनीक कुछ ही देशों के पास है।

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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