हिंदू धर्म में पूजा-पाठ, आरती और मंत्र जाप का विशेष महत्व है। ये प्रथाएं भक्ति का अटूट हिस्सा हैं, लेकिन एक सवाल अक्सर भक्तों के मन में उठता है- क्या आरती और मंत्र जाप के दौरान आंखें खुली रखनी चाहिए या बंद? स्कंद और पद्म पुराण में इस विषय पर स्पष्ट मार्गदर्शन मिलता है। आइए, जानते हैं सही तरीका क्या है।
पुराणों के अनुसार, आरती और मंत्र जाप के समय आंखें खुली रखकर भगवान के विग्रह का दर्शन करना अत्यंत पुण्यकारी माना गया है। इससे भक्त को भगवान के साथ आत्मिक जुड़ाव का अनुभव होता है। आंखें खुली रखने से भक्त भगवान की मूर्ति या स्वरूप पर ध्यान केंद्रित कर पाता है, जिससे भक्ति और गहरी होती है।
हालांकि, आंखें बंद करके आरती या मंत्र जाप करना भी गलत नहीं है। कई भक्त आंखें बंद करके अपने आराध्य के साथ गहरा मानसिक जुड़ाव महसूस करते हैं। आंखें बंद करने से बाहरी दुनिया की नकारात्मक ऊर्जा से संपर्क टूटता है, जिससे मन शांत और एकाग्र होता है। यह उच्च स्तर की भक्ति का प्रतीक माना जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि आंखें बंद करने से भक्त अपनी इंद्रियों पर बेहतर नियंत्रण पा सकता है और भीतरी ऊर्जा का अनुभव कर सकता है।
कुछ लोगों का मानना है कि आंखें खुली होने पर मन भटक सकता है और आसपास की चीजें बार-बार ध्यान खींच सकती हैं। ऐसे में आंखें बंद करना एकाग्रता बढ़ाने का सरल उपाय हो सकता है।
कुल मिलाकर, चाहे आंखें खुली हों या बंद, महत्व इस बात का है कि मन शांत और भक्ति भाव से परिपूर्ण हो। यदि शुद्ध मन से आरती और मंत्र जाप किया जाए, तो यह अनुभव अपने आप में अनूठा और आध्यात्मिक होता है। भक्तों को अपनी प्रकृति और एकाग्रता के आधार पर वह तरीका चुनना चाहिए, जो उनकी भक्ति को और गहरा करे।