लोकसभा चुनाव से पहले दिल्ली की सीटों को लेकर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन होगा या नहीं, इसे लेकर संशय बरकरार है। दोनों ही पार्टी गठबंधन के लिए तैयार है, लेकिन फैसला अभी भी अधर में है।
मंगलवार को आम आदमी पार्टी ने मुख्यमंत्री व पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल के आवास पर सुबह साढ़े 11 बजे राजनीतिक मामलों की समिति की बैठक बुलाई है। इस बैठक में गोवा की एक, गुजरात की 26 और हरियाणा की दस लोकसभा सीटों पर फैसला हो सकता है। जबकि इस बैठक में दिल्ली की सातों सीटों पर कोई विचार नहीं होगा। इसके अलावा बैठक में पंजाब के 13 सीटों पर भी कोई विचार करने का फैसला नहीं है। सूत्रों की माने तो दिल्ली में गठबंधन के रास्ते अभी भी खुले हुए हैं। आम आदमी पार्टी दिल्ली की सातों सीटों पर मिलकर चुनाव लड़ना चाहती है। सूत्रों का कहना है कि यदि दोनों मिलकर चुनाव लड़ते हैं तो भाजपा को हराया जा सकता है।
दोनों पार्टी के वोटर का कैडर एक है। यदि अलग होकर लड़ते हैं तो वोट बंट जाएंगे और इसका सीधा फायदा भाजपा को होगा। साल 2014 और 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के आंकड़े भी कुछ इसी तरफ इशारा करते हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि आप के बड़े नेता कांग्रेस के संपर्क में है और कोशिश की जा रही है कि दिल्ली में समझौता हो जाए। समझौता का फायदा दोनों पार्टी को होगा। ऐसे में आने वाले दिनों में ही दिल्ली को लेकर कुछ स्पष्ट हो पाएगा। उसके बाद ही स्थिति साफ होगी कि दिल्ली में आप और कांग्रेस के नेता मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ेंगे या अलग-अलग।
नई दिल्ली। प्रदेश कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में लोकसभा चुनाव को लेकर जोश दिखाई देने लग गया है। वह लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के चयन के संबंध में अपनी राय देने के लिए आगे आ रहे है। कांग्रेस ने पहली बार लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के नामों के संबंध में कार्यकर्ताओं से राय मांगी है। कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन होने की चल रही चर्चा के बावजूद सातों सीटों पर उम्मीदवार तय करने की कवायद आरंभ कर रखी है।