नई दिल्ली, 24 मार्च 2025, सोमवार: बीते रविवार, 23 मार्च 2025 को विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के एक प्रतिनिधिमंडल ने प्रांत मंत्री सुरेंद्र गुप्ता की अगुवाई में हुमायूं के मकबरे का दौरा किया। यह निरीक्षण दिल्ली प्रांत के ऐतिहासिक संदर्भों को गहराई से समझने और विभिन्न कालखंडों के शासकों के योगदान का विश्लेषण करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया। यह कदम न केवल इतिहास के पन्नों को पलटने की कोशिश है, बल्कि उन अनसुने नायकों को सामने लाने का प्रयास भी है, जिन्हें समय की धूल ने ढक दिया।

इतिहास के पन्नों में खोए नायकों की खोज
निरीक्षण के बाद प्रांत मंत्री सुरेंद्र गुप्ता ने अपनी बात रखते हुए कहा, “हमारा मकसद दिल्ली के ऐतिहासिक संदर्भों को समझना है। विभिन्न शासकों को आवंटित भूमि और उनके योगदान का अध्ययन कर रहे हैं।” उन्होंने एक गंभीर सवाल भी उठाया, “क्या दिल्ली का इतिहास सिर्फ इन्हीं नायक-नायिकाओं तक सीमित है? आनंदपाल तोमर जैसे शासक, जिनका शासन 300 साल तक रहा, उनके लिए कोई स्मारक क्यों नहीं बचा? क्या इतिहास ने उन्हें भुला दिया?” यह सवाल न केवल विचारोत्तेजक है, बल्कि दिल्ली के इतिहास को नए नजरिए से देखने की जरूरत को भी रेखांकित करता है।
विवाद नहीं, शुद्ध ऐतिहासिक अध्ययन
सुरेंद्र गुप्ता ने साफ किया कि इस निरीक्षण को किसी विवाद से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। “यह एक शुद्ध ऐतिहासिक अध्ययन है। हम जो भी निष्कर्ष निकालेंगे, उसकी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपी जाएगी।” उन्होंने मकबरों के नाम बदलने की अटकलों को भी खारिज करते हुए कहा, “मकबरों के नाम बदलना संभव नहीं है, लेकिन सड़कों और मार्गों के नाम हिंदू नायकों के नाम पर रखे जा सकते हैं।” यह सुझाव इतिहास के प्रति सम्मान और आधुनिकता के बीच संतुलन बनाने की एक सकारात्मक पहल माना जा सकता है।

विपक्ष के आरोपों का जवाब
विपक्ष द्वारा इस कदम को राजनीतिक रंग देने की कोशिशों को श्री गुप्ता ने सिरे से नकार दिया। उन्होंने कहा, “हमारा उद्देश्य सिर्फ ऐतिहासिक तथ्यों को उजागर करना है। यह कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं, बल्कि एक शोधपरक प्रयास है।” उनकी यह बात इस अध्ययन की निष्पक्षता और गंभीरता को दर्शाती है।
अगला पड़ाव: सफदरजंग मकबरा
प्रतिनिधिमंडल ने घोषणा की कि जल्द ही सफदरजंग मकबरे का भी निरीक्षण किया जाएगा। यह कदम दिल्ली के इतिहास के उन पहलुओं को सामने लाने की दिशा में एक और कदम होगा, जो अब तक चर्चा से बाहर रहे हैं। विहिप का यह अभियान न केवल इतिहास प्रेमियों के लिए उत्साहजनक है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को अपने गौरवशाली अतीत से जोड़ने का एक मौका भी देता है।

एक नई सोच का आगाज
विश्व हिंदू परिषद की यह पहल दिल्ली के इतिहास को सिर्फ मकबरों और महलों तक सीमित न रखकर, उन अनसुने नायकों की कहानियों को सामने लाने की कोशिश है, जिन्होंने इस धरती को अपनी शक्ति और शौर्य से सींचा। यह अध्ययन न केवल अतीत को सम्मान देने का प्रयास है, बल्कि भविष्य के लिए एक नई दिशा तय करने की प्रेरणा भी देता है। अब देखना यह है कि यह अभियान इतिहास के कितने अनछुए पन्नों को उजागर कर पाता है!