वाराणसी, 6 जून 2025, शुक्रवार: समाज कल्याण विभाग में रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार का सनसनीखेज मामला सामने आया है। एक जिंदा बुजुर्ग को कागजों में मृत दिखाकर उनकी वृद्धावस्था पेंशन रोकने का आरोप समाज कल्याण विभाग के सहायक विकास अधिकारी (ADO) प्रमोद पटेल और तत्कालीन ग्राम विकास अधिकारी अंजनी सिंह पर लगा है। राजातालाब पुलिस ने कोर्ट के आदेश पर दोनों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और भारतीय न्याय संहिता (BNS) की विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है।
20 हजार की रिश्वत से शुरू हुई कहानी
मामला राजातालाब थाना क्षेत्र के निवासी 70 वर्षीय दुर्गा प्रसाद पाण्डेय से जुड़ा है। दुर्गा प्रसाद ने प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत आवास के लिए आवेदन किया था। 2024 में आवास आवंटन के दौरान सत्यापन के लिए पहुंचे ग्राम विकास अधिकारी अंजनी सिंह ने उनसे 20 हजार रुपये रिश्वत ली। इतना ही नहीं, अंजनी ने अतिरिक्त 10 हजार रुपये की मांग की। पैसे देने में असमर्थता जताने पर अंजनी ने आवास आवंटन रद्द करने की धमकी दी। दुर्गा प्रसाद ने इसकी शिकायत विभाग के उच्च अधिकारियों से की, जिसके बाद आवास तो मिल गया, लेकिन यह उनकी मुश्किलों की शुरुआत थी।
जिंदा को कागजों में मृत घोषित कर रुकवाई पेंशन
शिकायत से तिलमिलाए अंजनी सिंह और ADO प्रमोद पटेल ने कथित तौर पर साजिश रची। बदले की भावना से दुर्गा प्रसाद को कागजों में मृत घोषित कर उनकी वृद्धावस्था पेंशन रुकवा दी गई। अक्टूबर 2024 में जब पेंशन उनके खाते में नहीं आई, तो बुजुर्ग बैंक पहुंचे। वहां कर्मचारियों ने बताया कि समाज कल्याण विभाग ने उन्हें मृत घोषित कर पेंशन रोक दी है। यह सुनकर दुर्गा प्रसाद के होश उड़ गए।
दफ्तरों के चक्कर, फिर कोर्ट की शरण
सच जानने के बाद दुर्गा प्रसाद ने समाज कल्याण विभाग के दफ्तरों के चक्कर लगाए, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। पुलिस से भी न्याय नहीं मिला। एक महीने की भागदौड़ के बाद हताश होकर उन्होंने कोर्ट का रुख किया। कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए राजातालाब पुलिस को ADO प्रमोद पटेल और ग्राम विकास अधिकारी अंजनी सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया। पुलिस ने BNS की धारा 198, 201, 337, 336(3), 340(2) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 7 व 13 के तहत केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
भ्रष्टाचार की गहरी जड़ें
यह मामला समाज कल्याण विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार की गहरी जड़ों को उजागर करता है। एक बुजुर्ग को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए रिश्वत मांगना और शिकायत करने पर उसे कागजों में मृत घोषित करना न केवल अमानवीय है, बल्कि व्यवस्था पर सवाल उठाता है। इस घटना ने स्थानीय लोगों में आक्रोश पैदा कर दिया है, और अब सभी की नजरें पुलिस जांच और कोर्ट के फैसले पर टिकी हैं।