नई दिल्ली, 30 मार्च 2025, रविवार। नागपुर में माधव नेत्रालय प्रीमियम सेंटर की आधारशिला रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न केवल एक स्वास्थ्य संस्थान की शुरुआत की, बल्कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सेवा भाव और भारत की अमर संस्कृति की गौरव गाथा को भी दुनिया के सामने रखा। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि जहां सेवा है, वहां स्वयंसेवक हैं। यह सेवा कोई साधारण कार्य नहीं, बल्कि संस्कार और साधना का वह मंत्र है जो संघ के हर स्वयंसेवक को प्रेरित करता है और समाज के लिए समर्पित रखता है।

पीएम मोदी ने संघ की 100 साल की यात्रा को याद करते हुए इसके संस्थापकों डॉ. हेडगेवार और गुरुजी को नमन किया। उन्होंने संघ को भारत की अमर संस्कृति का ‘अक्षय वट’ करार दिया, जो सैकड़ों वर्षों की गुलामी और आक्रमणों के बावजूद भारतीय चेतना को जीवंत रखता है। उनके मुताबिक, भक्ति आंदोलन से लेकर स्वामी विवेकानंद तक, और गुलामी के दौर में संघ के नए विचारों तक, यह चेतना कभी मिटी नहीं। आज यह अक्षय वट दुनिया के सामने एक महान बटवृक्ष के रूप में खड़ा है, जो सेवा और संस्कृति का अनूठा संगम प्रस्तुत करता है।

माधव नेत्रालय के शिलान्यास को उन्होंने सेवा का तीर्थ बताया। यह संस्थान दशकों से लाखों लोगों की आंखों को रोशनी दे रहा है, और अब नए परिसर के साथ यह कार्य और गति पकड़ेगा। पीएम ने कहा कि आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं के जरिए करोड़ों गरीबों और बुजुर्गों को मुफ्त इलाज मिल रहा है, ताकि उन्हें स्वास्थ्य की चिंता न सताए। यह सब ‘सबके प्रयास’ का हिस्सा है, जिसे उन्होंने लाल किले से भी दोहराया था।

मोदी ने संघ के स्वयंसेवकों की निस्वार्थ भावना की तारीफ की। उन्होंने गुरुजी के उस कथन को याद किया, जिसमें उन्होंने संघ को प्रकाश से तुलना की थी – एक ऐसा प्रकाश जो सर्वव्यापी है और समाज को दिशा देता है। “अहम नहीं, वयम” – यानी “मैं नहीं, हम” का यह मंत्र संघ की ताकत है। कुंभ जैसे आयोजनों में स्वयंसेवकों का समर्पण इसका जीता-जागता सबूत है।

प्रधानमंत्री ने भारत के बदलते स्वरूप पर भी प्रकाश डाला। गुलामी की मानसिकता को तोड़कर देश अब राष्ट्रीय गौरव के नए अध्याय लिख रहा है। राजपथ अब कर्तव्य पथ बन गया, अंग्रेजी कानूनों को बदला जा रहा है, और सावरकर की यातनाओं वाली अंडमान की भूमि को आजादी के नायकों के नाम से जोड़ा गया है। वैश्विक मंच पर भी भारत ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की भावना के साथ आगे बढ़ रहा है – चाहे कोविड वैक्सीन हो या भूकंप जैसी आपदा में ‘ऑपरेशन ब्रह्म’ के जरिए मदद, भारत हर कदम पर मानवता की सेवा कर रहा है।

अंत में, पीएम मोदी ने संघ की सौ साल की तपस्या को विकसित भारत की नींव बताया। 2025 से 2047 तक का लक्ष्य साफ है – एक ऐसा भारत जो अगले 1000 साल के लिए मजबूत हो। हेडगेवार और गुरुजी की स्मृतियां इस सपने को साकार करने की ताकत देंगी। यह संबोधन न केवल संघ के स्वयंसेवकों के लिए, बल्कि हर भारतीय के लिए प्रेरणा का स्रोत है – सेवा से संस्कृति को मजबूत करें, और संस्कृति से देश को विश्वगुरु बनाएं।