लखनऊ, 17 मई 2025, शनिवार। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक ऐसी घटना ने सबको चौंका दिया, जहां कानून का रक्षक ही कानून का दुरुपयोग करता पकड़ा गया। विशेष SC-ST कोर्ट ने एक वकील, लाखन सिंह, को फर्जी मुकदमा दर्ज करने के लिए 10 साल की सजा और ढाई लाख रुपये का जुर्माना ठोका। कोर्ट की कड़ी टिप्पणी ने इस मामले को और चर्चा में ला दिया: “चतुर शिकारी जल्दी जाल में फंसता है।”
जमीनी विवाद से शुरू हुआ खेल
लखनऊ के विकास नगर थाना क्षेत्र में रहने वाले लाखन सिंह का अपने पड़ोसी सुनील दुबे के साथ लंबे समय से जमीन को लेकर विवाद चल रहा था। सुनील के पक्ष में सारे सबूत होने के कारण लाखन ने चालाकी से काम लिया। उसने 15 फरवरी 2014 को सुनील के खिलाफ हत्या का प्रयास, धमकी, तोड़फोड़, गाली-गलौज और SC-ST एक्ट के तहत फर्जी मुकदमा दर्ज करा दिया। मकसद था सुनील को कानूनी जाल में फंसाकर जमीन विवाद में जीत हासिल करना।
पुलिस जांच ने खोली पोल
कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने मामले की गहन जांच की, जिसमें चौंकाने वाला सच सामने आया। न तो ऐसी कोई घटना हुई थी, न ही SC-ST एक्ट के आरोपों में कोई दम था। पुलिस ने कोर्ट को बताया कि लाखन की दर्ज FIR पूरी तरह झूठी थी। यह सब जमीन विवाद को हथियार बनाने की साजिश थी।
कोर्ट की सख्ती और कड़ा फैसला
विशेष न्यायाधीश विवेकानंद शरण त्रिपाठी की कोर्ट में सुनवाई के दौरान विशेष लोक अभियोजक अरविंद मिश्रा ने मामले को बखूबी पेश किया। कोर्ट ने लाखन की चालाकी पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि वह एक वकील होकर कानून का दुरुपयोग कर रहा है। कोर्ट ने टिप्पणी की कि लाखन जैसे “चतुर शिकारी” अपने ही बुने जाल में फंस जाते हैं।
सजा के साथ-साथ कोर्ट ने लाखन पर ढाई लाख का जुर्माना लगाया और लखनऊ कोर्ट परिसर में उसके प्रवेश पर भी रोक लगा दी। कोर्ट ने यह भी खुलासा किया कि लाखन ने पहले भी कई लोगों के खिलाफ ऐसे फर्जी मुकदमे दर्ज किए थे। इसके अलावा, कोर्ट ने लखनऊ पुलिस कमिश्नर और डीएम को निर्देश दिया कि फर्जी दलित उत्पीड़न केस के तहत लाखन को दी गई सरकारी धनराशि की वसूली की जाए।