नागपुर टेस्ट में भारत को ऑस्ट्रेलिया पर बड़ी जीत भले मिल गई हो, लेकिन शुक्रवार से शुरू होने जा रहे दूसरे टेस्ट से पहले टॉप ऑर्डर का नहीं चलना टीम की सबसे बड़ी चिंता का विषय है। हालांकि, अरुण जेटली स्टेडियम में मिली जीत टीम इंडिया को न सिर्फ बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी पर लगातार चौथी बार कब्जा दिला देगी बल्कि जून में होने वाले विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल से उसे सिर्फ एक कदम दूर खड़ा कर देगी। भारतीय टीम की सबसे बड़ी चुनौती विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल के लिए अपने को न सिर्फ हार से बचाना है बल्कि ड्रॉ खेलने से भी बचना है। यह टेस्ट चेतेश्वर पुजारा का 100वां टेस्ट होगा।
दिल्ली टेस्ट को जीतने पर भारत की बढ़त 2-0 हो जाएगी और उसके चार टेस्ट मैचों की सीरीज हारने की सारी संभावनाएं खत्म हो जाएंगी। अगर सीरीज ड्रॉ भी रहती है तब भी बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी पर भारत का कब्जा रहेगा। 1996 से शुरु हुई इस ट्रॉफी के शुरू होने के बाद आज तक दोनों ही टीमों ने लगातार चार बार इस पर कब्जा जमाकर नहीं रखा है। हालांकि, सीरीज ड्रॉ रहने की स्थिति में भारत को विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के लिए नुकसान उठाना होगा। उसे फाइनल में पहुंचने के लिए बाकी बचे तीन टेस्ट में से दो जीतने जरूरी हैं। एक हार उसके फाइनल में पहुंचने की संभावनाओं को न्यूजीलैंड और श्रीलंका के बीच होने वाले दो टेस्ट की सीरीज पर निर्भर कर देगी। वहीं, एक जीत या ड्रॉ ऑस्ट्रेलिया को फाइनल में पहुंचने की दौड़ में बनाए रखेगी।
सूत्रों की मानें तो कोटला की पिच को आईपीएल के लिए तैयार किया गया था, जिसे बल्लेबाजों को ध्यान में रखकर बनाया गया, लेकिन बीते तीन दिन से इस पर पानी की एक बूंद नहीं डाली गई है। कोच द्रविड़, चेतेश्वर पुजारा और कप्तान रोहित शर्मा और पैट कमिंस पिच का कई बार निरीक्षण कर चुके हैं। कमिंस ने गुरुवार को कहा कि उन्हें पिच सूखी हुई लग रही है और यह भी नागपुर की तरह व्यवहार करेगी। अब देखना है कि कैसा विकेट मिलेगा। मैच मध्य की बजाय किनारे की पिच पर खेला जाएगा, जहां एक ओर की बाउंड्री सिर्फ 60 मीटर रह गई है।
टेस्ट से पहले भारतीय टीम मैनेजमेंट को भी कई सवालों से जूझना पड़ रहा है। खासतौर पर केएल राहुल का नहीं चलना और टीम में वापसी कर रहे श्रेयस अय्यर, शुभमन गिल का फॉर्म में होना, अंतिम एकादश को लेकर प्रबंधन को माथा पच्ची कराएगा। द्रविड़ के बयान से लगता है की सूर्यकुमार की जगह श्रेयस को मौका दिया जा सकता है, लेकिन वह काफी समय से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट नहीं खेले हैं। ऐसे में इतने महत्वपूर्ण टेस्ट में उतारना जोखिम भरा हो सकता है। चेतेश्वर पुजारा और विराट कोहली का बल्ला भी नहीं चल रहा है। पिछले कई टेस्ट मैचों में टॉप ऑर्डर की विफलता के बाद मध्य और निचले क्रम ने भारतीय टीम को उबारा है। पिछले टेस्ट में कप्तान रोहित का शतक टीम को राहत देने वाला है।
सौवां टेस्ट खेलने से पहले चेतेश्वर पुजारा ने कहा- मैं अपना खेल पूरी तरह से परिवर्तित नहीं कर सकता, लेकिन मैं अब परिवर्तन के लिए खुले दिमाग से सोचता हूं। टेस्ट मैच में खेलने के लिए अब मैंने अपने शॉट के चयन में कुछ लचीलापन दिखाया है। सौराष्ट्र और ससेक्स के लिए सफेद गेंद के प्रारूप में खेलते हुए उन्होंने तेज गेंदबाजों पर स्वीप शॉट और पैडल स्कूप लगाए हैं, जिसका उन्हें फायदा मिला है।