शिवसेना (उद्धव बाल ठाकरे) ने बुधवार को महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर निशाना साधा और दावा किया कि फडणवीस के मुख्यमंत्री रहते हुए महाविकास अघाड़ी के नेताओं के फोन टैप किए गए। दरअसल फडणवीस ने बीते दिनों आरोप लगाया था कि महाविकास अघाड़ी की सरकार में उन्हें गिरफ्तार करने की साजिश रची जा रही थी। फडणवीस के इस दावे पर अब शिवसेना ने पलटवार किया है। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में लिखे एक लेख में देवेंद्र फडणवीस को घेरा।
शिवसेना ने लेख में लिखा है कि फडणवीस को बताना चाहिए कि क्या गैरकानूनी तरीके से फोन टैप करना अपराध है या नहीं। महाराष्ट्र में कभी भी विरोधियों या उनके परिजनों को जेल में डालने की संस्कृति नहीं रही है। सामना में लिखा गया है कि फडणवीस को अपनी गिरफ्तारी का डर क्यों सता रहा था? जिस मामले में उन्हें गिरफ्तारी का डर था, उस मामले से उनका क्या संबंध है…फडणवीस को इस पर सफाई देनी चाहिए।
सामना के लेख में लिखा है कि महाविकास अघाड़ी की सरकार में आईपीएस अधिकारी रश्मि शुक्ला के खिलाफ पुणे में मामला दर्ज किया गया था। उन पर महाविकास अघाड़ी के नेताओं के फोन टैप करने का आरोप था। जब फडणवीस मुख्यमंत्री थे तो अलग-अलग नामों से महाविकास अघाड़ी के नेताओं के फोन टैप किए गए। लेख के अनुसार, जब देवेंद्र फडणवीस विपक्ष के नेता थे तो उनसे सम्मानपूर्वक पूछताछ की गई थी। ऐसे में इस मामले को मुद्दा बनाने की कोई जरूरत नहीं थी। महाविकास अघाड़ी के नेता अनिल देशमुख, नवाब मलिक और संजय राउत को केंद्रीय जांच एजेंसियों द्वारा बेवजह गिरफ्तार किया गया।
अगर फोन टैपिंग मामला गंभीर नहीं था तो पूर्व मुंबई पुलिस चीफ संजय पांडेय की इस मामले में गिरफ्तारी क्यों हुई?सामना में ये भी लिखा गया है कि रश्मि शुक्ला के खिलाफ सारे केस वापस ले लिए गए हैं और उन्हें प्रमोशन भी दिया गया है। एकनाथ शिंदे और फडणवीस की सरकार को फोन टैपिंग मामले की जांच करनी चाहिए और इसे खत्म करना चाहिए।