स्वतंत्र पत्रकार मनदीप पुनिया ज़मानत पर जेल से रिहा हो गये हैं.
बुधवार रात क़रीब सवा नौ बजे मनदीप को दिल्ली की तिहाड़ जेल से रिहा किया गया. वे केंद्रीय कारागार संख्या-8 में क़ैद थे.
जेल से बाहर आकर उन्होंने प्रेस से बात की. इस दौरान उन्होंने कहा कि ‘वे पत्रकारिता की अपनी ड्यूटी पहले की तरह जारी रखेंगे.’
मनदीप पुनिया ने कहा कि “मैं उन सभी पत्रकार बंधुओं का शुक्रिया अदा करूंगा जो मेरे साथ खड़े रहे. ईमानदार रिपोर्टिंग की इस वक़्त हमारे देश को बहुत ज़रूरत है. मगर ऐसे समय में, जब सरकार लोगों से कुछ छिपाना चाह रही हो, तब पत्रकारिता करना मुश्किल हो जाता है. सत्ता को सच का पता होता है, पर वो सच लोगों को पता चलना चाहिए. पत्रकारिता का पेशा, कोई ग्लैमर से भरपूर पेशा नहीं है. ये बड़ा मुश्किल काम है और इस मुश्किल काम को भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया के कई देशों में बड़ी ईमानदारी से किया जा रहा है
.”उन्होंने कहा, “मैं देश के संविधान में विश्वास रखता हूँ. मुझे ज़मानत मिली, इसके लिए मैं माननीय अदालत को धन्यवाद कहूंगा, पर क्या मेरी गिरफ़्तारी होनी चाहिए थी? ये बड़ा सवाल है.”गिरफ़्तार होने से पहले, मनदीप पुनिया क़रीब दो महीने से किसान आंदोलन को कवर कर रहे थे. इस बीच उन्होंने कुछ फ़ेसबुक लाइव भी किये थे जिनमें उन्होंने सिंघु बॉर्डर पर हुई पत्थरबाज़ी के बारे में विस्तार से चर्चा की थी.जेल से रिहा होने के बाद मनदीप ने दिल्ली पुलिस की कार्रवाई के बारे में कोई बात नहीं की.लेकिन स्वतंत्र पत्रकारों के ख़िलाफ़ लगातार हो रहे मुक़दमों पर उन्होंने सवाल किया. उन्होंने कहा कि ‘केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन जैसे पत्रकारों को रिहा किया जाना चाहिए.’ उत्तर प्रदेश में हाथरस पीड़िता के घर जाते वक़्त स्वतंत्र पत्रकार सिद्दीक कप्पन को गिरफ़्तार कर लिया गया था.रिहा होने के बाद मनदीप ने एक ट्वीट भी किया है, जिसमें उन्होंने लिखा है कि “मुझे रिपोर्टिंग करने से रोका गया और जेल भेज दिया गया. मैंने जेल में गिरफ़्तार हुए किसानों से बातचीत की है और उन पर लोग जल्द ही मेरी रिपोर्ट पढ़ेंगे. जेलों में बंद अन्य पत्रकारों को रिहा किया जाना चाहिए. पत्रकारों का काम होता है ग्राउंड ज़ीरो से रिपोर्ट करना और वो हम करते रहेंगे.”