कोरोना काल के समय जब लॉकडाउन हुआ तब मानों पूरी दुनिया लगभग थम सी गई। कोरोना जैसे अनजान वायरस से लड़ने के लिए हमारे पास कुछ नहीं था। महामारी की वजह से दूसरे देश से मदद लेना भी संभव नहीं था। देश के कुछ लोग जहां घर में बैठ कर परेशान थे तो, कुछ लोग महामारी से लड़ने के लिए उपाय ढूंढ रहे थे। तभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 मई 2020 को आत्मनिर्भर भारत का मंत्र दिया।
आत्मनिर्भर भारत का प्रभाव
आत्मनिर्भरता भारत अभियान का अर्थ केवल ये नहीं है कि किसी वस्तु या उपयोगिता के सामान का उत्पादन कर दें, बल्कि इसका एक पक्ष यह भी है कि हमें दूसरे देशों पर से निर्भरता भी खत्म करनी है। इसी मंत्र के साथ भारत ने कई ऐसे कार्य किए जो इतिहास में पहली बार हुआ। पीएम ने भारत को आत्मनिर्भर बनाने का संकल्प लिया और सभी देशवासी भी इस अभियान को पूरा करने में लगे हैं।
लॉकडाउन की वजह से विदेशों से आने वाले तमाम आवश्यक सामान जब भारत में पहुंचना बंद हो गए। तभी पहली बार भारत ने आत्मनिर्भर होते हुए इतिहास में पहली बार चिकित्साकर्मियों के लिए जरूरी पीपीई किट का निर्माण देश में ही शुरू कर दिया। जिस पीपीई किट के लिए भारत वर्षों से दूसरे देशों पर निर्भर था आज अपने देश में आपूर्ति करने के साथ ही जरूरी देशों को भी सप्लाई कर रहा है।
रक्षा के क्षेत्र में भी भारत ने 101 हथियारों को दूसरे देशों से आयात करने पर प्रतिबंध लगा दिया। इस सूची में कई बड़े उपकरण जैसे ऑर्टलरी गन, रायफल, फाइटर वाहन, कम्युनिकेशन इक्यूपमेंट, रडार, बुलेट फ्रूफ जैकेट, माल वाहन, पनडुब्बी और भी बहुत कुछ है, जो अब भारत में बनना शुरू हो गए हैं।
कोरोना की वजह से जिन लोगों की नौकरी गई, उन्होंने अपना खुद का व्यवसाय शुरू किया। ग्रामीण महिलाओं ने जहां मास्क और सेनिटाइजर बना रही हैं। वहीं कई लोगों ने भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए वोकल फॉर लोकल की मुहिम से जुड़ गए।
आत्मनिर्भर भारत आर्थिक पैकेज
कोरोना काल में ही लॉकडाउन के समय आत्मनिर्भर भारत के तहत ही पीएम मोदी ने राहत पैकेज के अंतर्गत 20 लाख करोड़ रुपए दिए। लेकिन इस राहत पैकेज की खास बात ये रही कि जिस तरह सुनियोजित तरह से इसे दिया गया, आज उसी का नतीजा है कि देश की अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट रही है। दरअसल इसके तहत किसी को नगद पैसे नहीं बांटे गए, बल्कि अलग-अलग सेक्टर के लोगों के राहत के लिए कई घोषणाएं की गई। एमएसएमई के कल्याण के तहत कुल 16-घोषणाएं की गईं, तो किसानों गरीबों, श्रमिकों के लिए भी कई घोषणाएं की गईं।
लॉकडाउन के बाद सबसे बड़ी चिंता रेहड़ी, पटरी वालों और तमाम फुटकर विक्रेताओं की आजीविका को लेकर थी, जिसे ध्यान में रखते हुए पीएम स्वनिधि योजना की शुरुआत की गई। इस योजना के तहत रेहड़ी पटरी वालों को सरकार द्वारा 10,000 रूपये का लोन मुहैया कराया जा रहा है।
किसानों की आय दोगुनी करने के लिए कृषि अवसंरचना की स्थापना, हर्बल खेती, मधुमक्खी पालन, ऑपरेशन ग्रीन का विस्तार किया, किसान रेल जैसी कई महत्वपूर्ण योजनाओं लायी गई।
ऑक्सफोर्ड लैंग्विज ने आत्मनिर्भर को चुना साल 2020 का शब्द
भारत के इस आत्मनिर्भर अभियान का आकार इतना विशाल है कि देश के कोने-कोने से इसकी गूंज निकल कर अब विदेशों तक पहुंच गई है। जी हां, इस शब्द को अब वैश्विक पटल पर भी पहचान मिली है। ऑक्सफोर्ड लैंग्विज ने आत्मनिर्भरता शब्द को अपना साल 2020 के हिंद शब्द घोषित किया है।
क्यों चुना गया
उनके बयान के अनुसार इस शब्द को इसलिए चुना गया है क्योंकि आत्मनिर्भर शब्द अनगिनत भारतीयों के दैनिक संघर्ष और महामारी के खिलाफ जंग को दर्शाता है। आत्मनिर्भरता शब्द का अर्थ और सोच बीते साल अधिकतर भारतीयों की भावना का हिस्सा रहा है। अब इसे ऑक्सफोर्ड की हिंदी डिक्शनरी में जोड़े जाने का निर्णय लिया गया है। ऑक्सफोर्ड के भाषा से जुड़े पैनल ने ये निर्णय लिया है।
बता दें कि ऑक्सफोर्ड हर साल एक ऐसे शब्द की घोषणा करता है जिसका पिछले साल काफी महत्व रहा हो, साथ ही उस शब्द का सांस्कृतिक महत्व भी रहा हो।
ऑक्सफोर्ड लैंग्विज ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कोरोना पैकेज की घोषणा की थी। कोरोना के दौर में उन्होंने भाषण दिया था उसमें आत्मनिर्भरता शब्द का प्रयोग किए जाने के बाद इस शब्द को काफी इस्तेमाल किया जाने लगा।