झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गुरुवार को विधानसभा अध्यक्ष रवींद्र नाथ महतो से राज्य में निजी विश्वविद्यालयों की स्थिति की समीक्षा के लिए विधानसभा की एक समिति गठित करने का आग्रह किया।
सरकार द्वारा जैन विश्वविद्यालय विधेयक 2022 में विसंगति का हवाला देते हुए इसे वापस लेने के बाद सदन में सोरेन ने समिति का गठन करने का आग्रह किया।
मुख्यमंत्री सोरेन ने कहा कि राज्य में अभी तक 20 से अधिक विश्वविद्यालय बिल विधानसभा के माध्यम से पारित किए गए हैं। उन्होंने स्पीकर से निजी विश्वविद्यालयों की स्थिति का अध्ययन करने के लिए विधानसभा की एक समिति बनाने की मांग की। ताकि उच्च शिक्षा को बेहतर बनाया जा सके।” सोरेन ने कहा, राज्य में बेहतर बनाया जाए।
इससे पहले बीजेपी के तीन, आजसू के एक और भाकपा (माले) के एक विधायक ने सरकार से विधेयक को समीक्षा के लिए प्रवर समिति के पास भेजने का अनुरोध किया था। बगोदर विधायक विनोद कुमार सिंह ने आरोप लगाया कि एक ही समाज अलग-अलग नामों से विश्वविद्यालय खोल रहा है।
भाजपा विधायक मनीष जायसवाल, अनंत ओझा, अमित मंडल और आजसू विधायक लंबोदर महतो ने भी दावा किया कि निजी विश्वविद्यालयों में उचित बुनियादी ढांचे की कमी है और विशिष्ट दिशानिर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं। विधानसभा में दो विश्वविद्यालय बिल समेत पांच विधेयक मत से पारित किए गए। झारखंड नगर पालिका विधेयक 2022 पारित तीन संशोधन विधेयकों में से एक था, जो किसी विशेष क्षेत्र की जनसंख्या के आधार पर महापौर सीट के लिए आरक्षण का प्रावधान करता है।
इससे पहले महापौर और जिला परिषद अध्यक्ष के पद पर रोटेशन के आधार पर पांच साल का कार्यकाल होता थ। इस प्रावधान के कारण रांची महापौर का पद आगामी निकाय चुनावों में अनुसूचित जाति वर्ग के उम्मीदवार के लिए आरक्षित किया गया है, जिसे पहले अनुसूचित जनजाति वर्ग से संबंधित उम्मीदवार को आवंटित किया गया था।