पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तैनात 50 हजार जवानों को पीने का ताजा पानी मुहैया कराने के लिए सेना इलाके में तालाबों का निर्माण कर रही है। चीन द्वारा घुसपैठ का प्रयास करने के बाद करीब दो साल से सेना वहां तैनात है।
चीन फिर कोई दुस्साहस न करे, इसलिए सेना के जवान जाड़े के जमा देने वाले मौसम (freezing winters) में भी एलएसी पर डटे हुए हैं। चीन के आक्रामक रवैये के बाद अप्रैल-मई 2020 से सेना के जवान मोर्चे पर तैनात हैं। ये अत्याधुनिक रक्षा उपकरणों व अन्य साजो सामान से लैस हैं। उनकी जरूरतों की पूर्ति के लिए कई कदम उठाए गए हैं।
भारतीय सेना के मुख्य इंजीनियर ले. जनरल हरपाल सिंह ने बताया कि हम एलएसी पर बड़े पैमाने पर तालाबों का निर्माण कर रहे हैं, ताकि वहां तैनात जवानों के पेयजल की जरूरत पूरी हो सके। दौलत बेग ओल्डी (DBO) जैसी अग्रिम चौकियों के पास भी तालाब बनाए जा रहे हैं। जवान इसी साल से ठंड के दिनों में भी इनसे ताजा पानी पा सकेंगे।
उन्होंने बताया कि ठंड के दिनों में वहां जमीन पर पानी जमकर बर्फ बन जाता है, लेकिन नीचे यह तरल रूप में रहता है। सेना के जवान इसी नीचे मौजूद पानी का इस्तेमाल करते हैं। अब उनकी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तालाबों का इस्तेमाल होगा।
दौलत बेग ओल्डी सबसे ठंडा
दौलत बेग ओल्डी इलाका लद्दाख में सबसे ठंडे इलाकों में से एक है और सबसे अग्रिम मोर्चा है। ठंड के दिनों में कई बार यहां तापमान शून्य से 40 डिग्री नीचे भी चला जाता है। ऐसे में जवानों को ताजा पानी और भोजन उपलब्ध कराना बड़ी चुनौती बन जाता है।
इंजीनियर्स कोर कर रही मदद, 22 हजार और आवास बनाए
सेना की इंजीनियर्स कोर एलएसी पर तैनात जवानों की वहां रहने आदि में मदद कर रही है। लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह ने कहा कि सेना ने अब तक पूर्वी लद्दाख में सैनिकों के लिए 22,000 अतिरिक्त आवास बनाए हैं। उन्हें इस तरह से बनाया गया है कि इमारतों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक शिफ्ट किया जा सके। बड़ी संख्या में टैंक, बख्तरबंद गाड़ियां व अन्य सैन्य वाहनों को रखने के लिए भी ठिकाने बनाए गए हैं, ताकि इन्हें बहुत ठंड के दिनों में भी संचालित किया जा सके।