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Tuesday, June 24, 2025

त्योहारी सीजन में खरीद व अन्य सेवाओं के जरिये बाजार में 2.5 लाख करोड़ रुपये की पूंजी आने की उम्मीद

इस साल त्योहारी सीजन में खरीद व अन्य सेवाओं के जरिये बाजार में 2.5 लाख करोड़ रुपये की पूंजी आने की उम्मीद है। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) का दावा है, इतनी बड़ी रकम बाजार में आने से व्यापारियों को वित्तीय संकट से मुक्ति मिल सकती है। मंगलवार काे पुष्य नक्षत्र है। इस दिन जेवर और वाहन खरीदना शुभ माना जाता है। इस वजह से बाजार में और तेजी आने की उम्मीद है। कैट ने कहा, 8 अक्तूबर को केंद्र ने डीए में 4% की बढ़ोतरी की थी। 12 अक्तूबर को रेल कर्मचारियों के लिए 78 दिन के वेतन के बराबर बोनस की घोषणा की जा चुकी है। इससे 41 लाख केंद्र कर्मचारियों व 69.7 लाख पेंशनभोगियों को फायदा होगा। इसका 26 सितंबर से 5 नवंबर तक चलने वाले त्योहारी सीजन की खरीदारी पर सकारात्मक असर पड़ेगा। इससे बाजार में नकदी आने की उम्मीद है।

खर्च करना चाहते हैैं लोग

कैट ने कहा, टीवी, घरेलू उपकरणों, एफएमसीजी खाद्य और गैर-खाद्य पदार्थ, कपड़ा आदि की ऑफलाइन और ई-कॉमर्स चैनल के जरिये बिक्री पिछले साल की तुलना में पहले ही 8-10% की बढ़त हासिल कर चुके हैं। ग्राहक उच्च महंगाई के बाद भी खर्च करने को तैयार हैं।

बाजार के साथ अर्थव्यवस्था को भी सहारा

कैट के महासचिव प्रवीन खंडेलवाल ने कहा, खरीदारी में तेजी से अर्थव्यवस्था और बाजार को तेजी मिलेगी। सरकार के दो फैसलों से हजारों करोड़ रुपये बाजार में आएंगे। अच्छी फसल से ग्रामीणों के हाथ में पैसे आएंगे। वहीं, कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स एवं अप्लायंसेस मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एरिक ब्रेगांजा ने बताया, वॉल्यूम में 8-10 फीसदी की बढ़त का अनुमान है। मूल्य में 25-30 फीसदी की बढ़त हो सकती है।

खुदरा कारोबार 21 फीसदी बढ़ा

डाबर इंडिया के कार्यकारी निदेशक आदर्श शर्मा ने कहा, दिवाली करीब आने के साथ खरीदी बढ़ेगी। वहीं, रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आरएआई) के हालिया सर्वे के मुताबिक, पूरे देश में खुदरा कारोबार कोरोना पूर्व स्तर यानी 2019 की तुलना में 21 फीसदी बढ़ा है। आरएआई के सीईओ कुमार राजगोपालन ने कहा, मध्यम और ऊंची कीमत वाले उत्पादों की मांग में तेजी दिख रही है।

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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