देश के सबसे बड़े केंद्रीय अर्धसैनिक बल ‘सीआरपीएफ’ को इस स्वतंत्रता दिवस पर 110 वीरता के पदकों से नवाजा गया है। इनमें एक जांबाज को ‘शौर्य’ चक्र मिला है, तो 109 को पुलिस मेडल फॉर गैलंट्री (पीएमजी) से सम्मानित किया गया है। माओवादी क्षेत्रों में विभिन्न ऑपरेशनों के दौरान प्रदर्शित बहादुरी के लिए 26 वीरता पदक और जम्मू-कश्मीर में जांबाजी के लिए 84 वीरता पदक प्रदान किए गए हैं। सहायक कमांडेंट अमित कुमार को शौर्य चक्र मिला है
शौर्य चक्र विजेता अमित कुमार
जम्मू-कश्मीर में वेली क्विक एक्शन टीम ने बर्जुल्ला सद्दार ‘श्रीनगर’ इलाके में 12 अक्तूबर 2020 को इंटेलिजेंस इनपुट के आधार पर आतंकियों के खिलाफ एक संयुक्त आपरेशन शुरू किया था। इसमें एसओजी व जेकेपी भी शामिल थी। टारगेट स्थल पर पहुंचने के बाद पता लगा कि वहां एक बिल्डिंग में दो आतंकी छिपे हुए हैं। उस बिल्डिंग की घेराबंदी कर ली गई। आतंकियों को मालूम हो चुका था कि वे घिर चुके हैं। पकड़े जाने के डर से उन्होंने घेराबंदी पार्टी पर गोलीबारी शुरू कर दी। वैली क्यूएटी की टीम ने प्रभावी ढंग से जवाबी कार्रवाई की। आतंकवादियों की आवाजाही को प्रतिबंधित करने के लिए उन्होंने एमजीएल का समन्वित तरीके से उपयोग किया गया। सहायक कमांडेंट अमित ने टीम के साथ बिल्डिंग में प्रवेश किया। आतंकियों को जब यह भनक लगी कि अब सीआरपीएफ दस्ता अंदर आ चुका है और उनके बचने की गुंजाइश नहीं है, उन्होंने फायर करते हुए कमरे से बाहर निकलकर सीढ़ियों की ओर भागना शुरू कर दिया। अमित कुमार ने उस आतंकी पर फायर किया।
इस तरह मारा गया पाकिस्तान का श्रेणी ए++ आतंकवादी
दूसरे आतंकी ने आगे बढ़ रही टीम पर हैंड ग्रेनेड फेंक दिया। जैसे ही हैंड ग्रेनेड फटा, आतंकियों ने धूल के बीच ही भारी गोलीबारी कर दी। ग्रेनेड विस्फोट में अमित कुमार के दो साथी घायल हो गए। अपने साथियों को खतरे में देखकर, अमित कुमार ने असाधारण नेतृत्व कौशल का प्रदर्शन किया। अपने दोनों घायल साथियों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया। इसके बाद उन्होंने दोबारा से मोर्चा संभाला। आतंकवादियों को ललकारा और ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। उन्होंने गोलियों की बौछार के बीच आगे बढ़ कर आतंकवादियों के साथ आमने-सामने की लड़ाई की। अपने अदम्य साहस से अमित कुमार ने करीब से एक आतंकी को मार गिराया। बाद में जब शव की पहचान की गई, तो वह पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर का लोकल कमांडर सैफुल्लाह दनियाल, श्रेणी ए++ का आतंकवादी निकला। भारत सरकार ने अमित की अत्यधिक वीरता और अनुकरणीय दृढ़ संकल्प के सम्मान में, उन्हें प्रतिष्ठित ‘शौर्य चक्र’ से सम्मानित किया है।
इन आठ वीरों की बहादुरी के किस्से
28 मई 2020 की रात को झारखंड के पश्चिम सिंहभूम जिले के टेबो इलाके में सीआरपीएफ की 60 वीं बटालियन और राज्य पुलिस की इकाई ने एक पुख्ता इंटेलिजेंस इनपुट के आधार पर संयुक्त ऑपरेशन शुरू किया। ऑपरेशन की कमांड सेकंड इन कमांड, राजू डी नायक ने संभाली। जब यह दल लक्ष्य स्थल के करीब था और अपनी रणनीति से ऊंचाई की तरफ बढ़ रहा था, तो अचानक उन पर भारी गोलाबारी शुरू हो गई। बिना कोई देरी किए, दस्ते ने मोर्चा संभाल लिया। माओवादियों द्वारा किए गए हमले का प्रभावी ढंग से जवाब दिया। धैर्य का प्रदर्शन करते हुए, राजू डी नाइक ने अपने जवानों का उत्साह बढ़ाया। एसआई जीडी अवनीश यादव के साथ नक्सलियों पर टूट पड़े। नक्सलियों को अपने गढ़ में मजबूत पोजिशन छोड़ कर भागना पड़ा। उन्हें बिना सोच समझ के कदम रखने पर मजबूर कर दिया। राजू डी नाइक और अवनीश यादव ने नक्सलियों का पीछा किया। उन्होंने एक नक्सली को झाड़ियों में छिपा हुआ देखा। तब तक कोई कार्रवाई होती, नक्सलियों ने इन दोनों की मौजूदगी को भांप लिया। नक्सलियों ने उन पर फायरिंग कर दी और वहां से भागने का प्रयास किया।
तब नक्सलियों को मुंह की खानी पड़ी
नाइक और यादव ने नई रणनीति के तहत नक्सली की ओर छलांग लगा दी। उसे नीचे गिरा दिया गया। उसे हथियार सहित पकड़ लिया। वहां दूसरे कई नक्सली भी थे, लेकिन वे भाग खड़े हुए। सहायक कमांडेंट मिज्राब हामिद सिद्दीकी ने देखा कि कुछ नक्सली भाग रहे हैं। उन्होंने एएसआई जीडी प्रमोद कुमार झा और सिपाही महती कलुंडिया के साथ नक्सलियों को पकड़ने का प्रयास किया। तीनों ने ‘आग और चाल’ की रणनीति का उपयोग करते हुए नक्सलियों की ओर कदम बढ़ाया। इन तीनों की दुस्साहसिक जवाबी कार्रवाई ने नक्सलियों को तोड़ दिया। यहां तक कि वे अपने मृत साथियों और घायलों को भी पीछे छोड़ कर मौके से भाग निकले। हथियार सहित एक नक्सली का शव बरामद किया गया, जबकि एक माओवादी को जिंदा पकड़ लिया। पता लगाया गया कि नक्सली किस तरफ भागे हैं। उनके भागने के संभावित मार्ग की जानकारी मिलने पर 2आईसी, साधु सरन यादव, केंटई क्षेत्र की ओर बढ़ गए। केंताई पहाड़ियों को पार करते हुए उनका सामना माओवादियों से हुआ। सामरिक रूप से नुकसानदेह स्थिति में होने के बावजूद, उन्होंने असीम बहादुरी का परिचय दिया।
गोलीबारी के बीच किया नक्सलियों का पीछा
उन्होंने नक्सलियों को आमने-सामने की लड़ाई में ले जाने का साहसिक निर्णय लिया। गोलियों की बरसात के बीच, मिज्राब हामिद ने जांबाज सुनील कंदुलना और लालू बाउरी के साथ नक्सलियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। तीनों के जवाबी हमले ने नक्सलियों के बचाव चक्र को तोड़ दिया। उनमें दहशत पैदा हो गई। नक्सली बौखला गए और बीच-बीच में फायरिंग करते हुए मौके से भागने लगे। तीनों ने भागे हुए नक्सलियों का पीछा किया। वे जंगल में परिचित रास्तों का फायदा उठाकर मौके से भागने में सफल रहे। क्षेत्र की गहन तलाशी लेने पर जवानों ने दो नक्सलियों के शव और एक एके-47 राइफल बरामद की। पूरे ऑपरेशन के दौरान, तीन नक्सलियों को बेअसर कर दिया गया। दो नक्सलियों को हथियारों के साथ पकड़ा गया। इनकी विशिष्ट बहादुरी के सम्मान में, राजू डी नाइक, साधु शरण यादव, मिज्राब हामिद सिद्दीकी, अवनीश यादव, प्रमोद कुमार झा, महती कलुंडिया, सुनील कंदुलना और लालू बाउरी को ‘वीरता के लिए पुलिस पदक’ (पीएमजी) से सम्मानित किया गया है।