जम्मू के राजौरी के प्रखल कैंप में दहशत फैलाने आए आतंकियों का इरादा उरी जैसी घटना को दोहराने का था। जिस तरह से आतंकी देर रात में कैंप की तरफ आए तो उन्हें लगा था कि निगरानी ढीली पड़ चुकी होगी। वे नहीं जानते थे कि पोस्ट पर मनोज अपनी राइफल के साथ खड़ा है। जैसे ही मनोज को हलचल का अहसास हुआ उसने अपनी बंदूक का मुंह आतंकियों की तरफ खोल दिया। मनोज भाटी के साथ ही ड्यूटी पर तैनात अन्य जवानों ने भी पलक झपकते ही गोलियां चलानी शुरू कर दी थी। इसी दौरान एक ग्रेनेड उनकी पोस्ट में गिरा। मनोज और उसके साथी इससे पहले कुछ समझ पाते, वह फट गया। इसके बाद आतंकियों ने गोलियों की बौछार कर दी। ये वाक्या है उस रात का जब देश सो रहा था और शाहजहांपुर का मनोज आतंकियों से लोहा ले रहा था।
उन्होंने बताया कि दो आतंकी देर रात करीब सवा तीन बजे लोहे की कंटीली तार काटकर अंदर घुस आए थे। पोस्ट पर मनोज व उसके साथी मुस्तैद थे। ये वो समय होता है जब नींद शरीर पर हावी होने लगती है।
हलचल महसूस होते ही मनोज ने चेतावनी दी और फायर कर दिया। आतंकियों की तरफ से गोली चलते ही पोस्ट के सभी जवानों ने गोलियां चलानी शुरू कर दीं।
आतंकी जब घिरने लगे तो उन्होंने पोस्ट में ग्रेनेड फेंक दिया। इसके बाद भी जवान आखिरी सांस तक लडे़ और शहीद हो गए। खासी मशक्कत के बाद आतंकियों को मार गिराया गया।
गांव के लाल की शहादत का पता लगते ही गांव में शोक की लहर दौड़ गई। मनोज के घर के आसपास के घरों में तीन दिन से चूल्हे नहीं जले। रक्षा बंधन का त्योहार भी बेहद सादगी के साथ मनाया गया।