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Thursday, June 26, 2025

उत्तर प्रदेश;सरकारी सेवाओं में भर्ती की अधिकतम उम्र 40 से घटाकर 30 वर्ष किया जा सकता है

उत्तर प्रदेश की सरकारी सेवाओं में भर्ती की अधिकतम उम्र में एक बार फिर बदलाव पर चर्चा शुरू हो गई है। इसे 40 से घटाकर 30 वर्ष किया जा सकता है। इसके अलावा एक बार सरकारी सेवा में आने के बाद दूसरी सरकारी सेवा के लिए आवेदन के अवसर की सीमा भी सीमित करने की योजना है।

प्रदेश में विभागीय कर्मियों की संख्या का युक्तिकरण, प्रभावशीलता व दक्षता में सुधार तथा उनके आकलन की व्यवस्था पर सुझाव देने के लिए गठित समिति ने इस संबंध में कई महत्वपूर्ण संस्तुतियां की हैं। इस पर विभागों से राय मांगी गई है। समिति ने सरकारी सेवाओं में वर्तमान में नियुक्ति के लिए निर्धारित अधिकतम आयु सीमा सामान्य वर्ग के लिए 40 से घटाकर 30 और आरक्षित वर्ग के लिए 35 वर्ष किए जाने की सिफारिश की है।

वर्तमान में आरक्षित वर्ग के लिए यह सीमा 45 वर्ष है। पूर्ववर्ती अखिलेश यादव सरकार ने भी इस अधिकतम आयु सीमा में बदलाव किया था। सपा शासनकाल में छह जून, 2012 को अधिकतम आयु सीमा 40 वर्ष कर दी गई थी। इससे पहले यह 35 वर्ष हुआ करती थी। 35 वर्ष की अधिकतम आयु सीमा पहले 32 वर्ष थी।

सरकारी नौकरी पाने के बाद दूसरी नौकरी के लिए केवल दो मौके
सरकारी सेवा में भर्ती के बाद कार्मिक को अन्य सेवाओं की परीक्षा में शामिल होने के लिए अधिकतम 2 अवसर देने का सुझाव दिया गया है। इसी तरह सेवा में चयन होने के बाद यदि कोई अभ्यर्थी अन्य परीक्षा में शामिल होने के लिए आवेदन करता है तो उसे पहली बार कार्यभार ग्रहण करने के लिए एक वर्ष का वेतन रहित अवकाश स्वीकृत करने की व्यवस्था करने की संस्तुति की गई है।

सेवा की कसौटी ‘संतोषजनक’ से ‘बहुत अच्छा’ हो

प्रदेश में विभागाध्यक्ष व अपर विभागाध्यक्ष के पदों को छोड़कर विभिन्न संवर्ग के पदों पर संबंधित नियमावली में पदोन्नति व एसीपी के लिए संतोषजनक सेवा होना अनिवार्य शर्त है। समिति ने पदोन्नति व एसीपी के लिए संतोषजनक सेवा के स्थान पर बहुत अच्छा मापदंड तय करने को कहा है। इसी तरह विभागों व कार्मिकों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रत्येक वर्ष मुख्यमंत्री पुरस्कार योजना शुरू करने को कहा गया है। यह उत्कृष्ट प्रदर्शन व नवाचार के लिए व्यक्तिगत व विभाग दोनों श्रेणियों में देने की संस्तुति है।

परिवर्तनीय वार्षिक वेतन वृद्धि का फॉर्मूला आजमाएं

अच्छे व मेहनती कार्मिकों का मनोबल बनाए रखने व काम में रुचि न लेने वाले को हतोत्साहित करने का हवाला देते हुए ‘परिवर्तनीय’ वार्षिक वेतन वृद्धि दिए जाने की संस्तुति की गई है। कामकाज में तेजी के लिए कई अधिकार विभागाध्य, मंडलायुक्त व डीएम को सौंपेंसरकारी कामकाज में तेजी के लिए शासन स्तर पर किए जाने वाले कार्यों को विकेंद्रित किए जाने की संस्तुति की गई है। इसके अंतर्गत सचिवालय स्तर पर किए जाने वाले कार्यों में से समूह ख तक के सेवा संबंधी कार्य विभागाध्यक्षों को हस्तांतरित किए जाने की सिफारिश की गई है। इसी तरह मंडलीय व जिला स्तरीय अधिकारियों के प्रतिदिन के सेवा संबंधी मामलों में अवकाश की स्वीकृति, जीपीएफ अग्रिम, अवकाश यात्रा की स्वीकृति आदि से संबंधित मामलों के निस्तारण की जिम्मेदारी क्रमश: मंडलायुक्तों व जिलाधिकारियों को देने को कहा गया है।


 

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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