महान ऑलराउंडर कपिल देव को लगता है कि जिस दिन माता-पिता खेलों पर ज्यादा जोर देने लगेंगे, उस दिन से देश में खेलों के ज्यादा से ज्यादा विजेता निकलने लगेंगे। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में भारतीय माता-पिता की मानसिकता में बदलाव आया, लेकिन यह काफी नहीं है।
दिग्गज क्रिकेटर ने यह टिप्पणी न्यूयार्क में रविवार को भारतीय बैडमिंटन टीम की थॉमस कप में ऐतिहासिक जीत पर की। वह भारतीय वाणिज्यिक दूतावास की ओर से देश की आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम में बतौर अतिथि वहां मौजूद थे।
पिछले कुछ वर्षों में भारतीय खेलों में आए बदलाव के बारे में जब कपिल से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि देश का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन शानदार होता जा रहा है, लेकिन इसकी मुख्य वजह माता-पिता हैं। उन्होंने कहा कि देश से काफी डॉक्टर, वैज्ञानिक और इंजीनियर निकलते हैं, क्योंकि उनके माता-पिता उन्हें यह बनाना चाहते हैं। जिस दिन से माता-पिता अपने बच्चों से खिलाड़ी बनाने की चाहत रखने लगेंगे, देश में भी हर खेल में विजेता बनने शुरू हो जाएंगे।
उन्होंने उदाहरण दिया कि अगर उनकी बेटी को 10वीं कक्षा की परीक्षा देनी हो और साथ ही जूनियर भारतीय टीम के लिए खेलना हो तो वह उसे पढ़ाई करने के लिए कहेंगे। वहीं अमेरिका, यूरोप या ऑस्ट्रेलिया के माता-पिता इस संबंध में बच्चे से कहेंगे कि वह परीक्षा रहने दें और इस साल जूनियर टीम से खेलें, परीक्षा अगले साल दे देना। हमारे देश में यह सोच अभी बदली नहीं है। हालांकि, इसमें धीरे-धीरे बदलाव हो रहा है। इसी लिए वह मानते हैं कि हमारे समाज में बच्चों से ज्यादा माता-पिता की भूमिका अधिक महत्वपूर्ण है