देश में कोयले की बढ़ती मांग व बिजली संकट के बीच केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने खनन की विस्तार परियोजनाओं के अनिवार्य नियमों में ढील दे दी है। पर्यावरणविदों ने मंत्रालय के इस फैसले की आलोचना की है, क्योंकि कोयला मंत्रालय कह रहा है कि देश में कोयले की कोई कमी नहीं है।
बिजली की बढ़ती मांग के बीच कोयला संकट जारी है। इसी बीच कोयला खनन परियोजनाओं के विस्तार के लिए पर्यावरण मंत्रालय ने बड़ा फैसला किया है। संशोधित नियमों के अनुसार अब पर्यावरणीय मंजूरी (ईसी) के साथ कोयला खदानों का 40% तक विस्तार किया जा सकेगा। अब बिना किसी पर्यावरणीय प्रभाव के आकलन या सार्वजनिक परामर्श के 50% तक विस्तार किया जा सकेगा।
पर्यावरण मंत्रालय द्वारा 7 मई को जारी आदेश में कहा गया है कि यह फैसला कोयला मंत्रालय द्वारा देश में कोयले की घरेलू आपूर्ति कम होने को लेकर जताई गई चिंता के मद्देनजर किया गया है। आदेश में कहा गया है कि कोयला मंत्रालय के आग्रह के बाद सभी क्षेत्रों के लिए घरेलू कोयला आपूर्ति बढ़ाने के लिए यह निर्णय किया गया है। कोल ब्लॉक में मौजूद भंडार की स्थिति को देखते हुए विस्तार परियोजना को इजाजत दी जाएगी।
पर्यावरण मंत्रालय ने कहा कि कोयला उत्पादन क्षमता को मूल ईसी क्षमता के 50 फीसदी तक बढ़ाने के लिए सशर्त इजाजत दी है। शर्त यह है कि खनन परियोजना का विस्तार खदान में मौजूद कोयला भंडार के अनुसार किया जा सकेगा। यह विस्तार आदेश जारी होने के बाद अगले छह माह तक के लिए वैध रहेगा।
कोयला मंत्रालय ने बार-बार कहा था कि मौजूदा बिजली संकट कोयले की कमी के कारण नहीं, बल्कि राज्यों द्वारा कोल इंडिया लिमिटेड की बकाया राशि के भुगतान नहीं करने, कोयला उठाने में देरी व कमजोर योजना के कारण पैदा हुआ था।