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Sunday, June 29, 2025

देश में पहली बार ताजनगरी में वैक्यूम सीवर का इस्तेमाल किया गया

देश में पहली बार सार्वजनिक स्थलों में ताजनगरी में वैक्यूम सीवर का इस्तेमाल किया गया है। आगरा स्मार्ट सिटी कंपनी ने ताजमहल के पास ताजगंज के 240 ऐसे घरों को वैक्यूम सीवर से जोड़ा है, जहां परंपरागत सीवर सिस्टम उपयोग नहीं किया जा सकता था। लो-लाइन एरिया में होने के कारण इन घरों को वैक्यूम सीवर से जोड़ दिया गया। इसमें 112 चैंबर बनाए गए हैं जिनमें सेंसर लगा है। चोक होने या कोई अन्य परेशानी होने पर वैक्यूम सीवर का सिस्टम अपने आप अलर्ट जारी कर देगा। आगरा के बाद कोच्चि नगर निगम भी वैक्यूम सीवर का इस्तेमाल करने वाला है।

ताजमहल के पास स्मार्ट सिटी एरिया में ताजगंज में 100.04 करोड़ रुपये की योजना से सीवर कनेक्शन का काम शुरू किया गया। 60 हजार घरों को 53 किमी लंबी सीवर लाइन से जोड़ा गया। इनमें 240 घर ऐसे थे, जो लो-लाइन एरिया यानी सड़क तल से नीचे थे। इन घरों से सीवर ग्रेविटी के जरिए सीवर नेटवर्क में नहीं पहुंच सकता था, इसके लिए स्मार्ट सिटी कंपनी ने नीदरलैंड की कंपनी क्वावेक से वैक्यूम सीवर लाइन और नेटवर्क तैयार कराया।

स्मार्ट सिटी के पीएमसी लीडर आनंद मेनन ने बताया कि 5 करोड़ रुपये में 240 घरों का वैक्यूम सीवर नेटवर्क बनाया गया। इसके लिए जो चैंबर बनाए गए, उनमें सेंसर लगाए गए हैं। वैक्यूम सीवर नेटवर्क के चोक हो जाने या अन्य समस्या पर सेंसर अलर्ट जारी करेगा। किसी भी लैपटॉप पर जीआईएस आधारित सेंसर से लोकेशन और समस्या का पता चल जाएगा। कंपनी 5 साल तक रखरखाव भी करेगी।

 

आंकड़ों की नजर से

100.04 करोड़ रुपये से बिछाई गई सीवर लाइन

60 हजार घरों को सीवर नेटवर्क से जोड़ा गया

28.24 एमएमडी सीवर एसटीपी में पहुंचेगा

30 किमी लंबी बिछाई गई सीवर लाइन

240 घरों में वैक्यूम सीवर का हुआ इस्तेमाल

05 करोड़ रुपये की लागत से बना वैक्यूम नेटवर्क

स्मार्ट सिटी के पीएमसी लीडर आनंद मेनन ने बताया कि ताजमहल के पास सीवर नेटवर्क बिछाने में 240 घर सड़क तल से नीचे थे, जहां से सीवर लिफ्ट करना मुश्किल था, पर हमने यहां 5 करोड़ की लागत से वैक्यूम सीवर शुरू कराया है। इस नेटवर्क के चोक होने पर सेंसर के जरिए ऑनलाइन मॉनीटरिंग भी हो सकती है।

स्मार्ट सिटी के सीआईओ निखिल टी. फुंडे ने बताया कि आगरा देश का पहला शहर है, जहां वैक्यूम सीवर का इस्तेमाल किया गया है। ताजगंज के पास निचले इलाकों के लिए यह तकनीक प्रयोग में लाई गई है। इसका पांच साल तक रखरखाव भी नीदरलैंड की कंपनी करेगी।

 

 

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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