नीति के कार्यान्वयन में देरी के मुद्दों को दूर करने के लिए गृह मंत्रालय ने कई बैठकें की हैं। इस नीति का उद्देश्य काम से संबंधित तनाव को कम करना और लगभग 10 लाख सीएपीएफ के सैनिकों और अधिकारियों की खुशी को बढ़ाना है, जो कुछ सबसे चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों और दूरदराज के स्थानों में कठिन कर्तव्यों का पालन करते हैं।
समाचार एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार एक वरिष्ठ सीएपीएफ अधिकारी ने बताया है कि सभी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों को निर्देश दिया गया है कि वह अपने प्रस्तावों में तेजी लाएं। गृह मंत्रालय इस मामले पर अगले महीने अंतिम निर्णय ले सकता है कि जवानों के हित के लिए इन मानकों को बलों में किस तरह लागू किया जाए।
बीते दिनों सीआरपीएफ (केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल) के महानिदेशक जनरल कुलदीप सिंह भी कह चुके हैं कि इस मामले में कार्य प्रगति पर है। सिंह ने कहा था, ‘गृह मंत्रालय इस मुद्दे पर संवेदनशील है और काम कर रहा है। गृह मंत्री भी कह चुके हैं कि हमें यह करना चाहिए। इसका आदेश जारी नहीं हुआ है, लेकिन यह काम प्रक्रिया में है।’
घर के पास की जा सकती है सीएपीएफ जवानों की तैनाती
अधिकारियों का कहना है कि 100 दिनों की छुट्टी की इस योजना को लागू करने के लिए, जवानों को उनके गृह नगर के नजदीक इकाइयों में या जहां पर उनका परिवार रहता है, वहां तैनात किए जाने का प्रावधान किया जा सकता है। साथ ही, असम रायफल्स, एनएसी और एनडीआरएफ को भी इस परियोजना में शामिल किया जा सकता है।
शाह ने अक्तूबर 2019 में सीआरपीएफ (केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल), बीएसएफ (सीमा सुरक्षा बल), आईटीबीपी (इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस), सीआईएसएफ (केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल) और एसएसबी (सशस्त्र सीमा बल) जैसे केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) की कार्य और संचालन संबंधी तैयारियों की समीक्षा के बाद यह प्रस्ताव रखा था।