गुजरात को अब नई सौगात मिलने जा रही है। जहां पर मेट्रो का रेलवे ब्रिज साबरमती नदी के बीच से गुजरेगा। इस ब्रिज को बनाने के लिए पहली बार कॉफरडेम टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाएगा। वहीं, दूसरी ओर गाँधी ब्रिज और नेहरु ब्रिज के बीच में बन रहे पुल का काम पूरी तरह से चालू हो गया है।
अहमदाबाद मेट्रो के पहले फेज़ में पूर्व और पश्चिम इलाको को जोड़ने के लिए ईस्ट वेस्ट कॉरिडोर का काम जारी है। जिसमें साबरमती नदी के ऊपर से करीब 300 मीटर का पूरा रुट गुजरेगा, इस नाते ये ब्रिज बहुत ही महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस ब्रिज के निर्माण के लिए साबरमती नदी में 6 पिलर बनाये जाएंगे, जिनमें कि 4 पिलरों का निर्माण कार्य पूरा भी हो गया है। नदी में पिलर बना कर ब्रिज बनाने के लिए कॉफरडेम टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाता है।
वहीं, ब्रिज के निर्माण के लिए जरूरी माल, सामान और मशीनरी की आवाजाही के लिए एक अप्रोच रोड बनाया जाएगा जिसमें मिट्टी और स्टील का उपयोग किया जाता है। कॉफरडेम टेक्नोलॉजी के तहत, नदी में पानी के लेवल से 7 मीटर ऊपर से रॉड बनाया जाता है। साथ ही नदी पर इस प्रकार के ब्रिज को बनाने के लिए बड़ी मात्रा में स्टील सीट का उपयोग किया जाता है, ताकि सुरक्षा के मानकों में कोई लापरवाही न हो। वहीं, इस प्रोजेक्ट में हाई स्किल्ड कारीगर, स्पेशयल मशीनरी, वाईब्रो हमर और क्रेन की मदद ली जाती है।
कॉफरडेम टेक्नोलॉजी का उपयोग करके बनाए जीने वाले इस ब्रिज का पूरा भार नदी से 45 मीटर नीचे और 1800 मिलीमीटर चौडे पिलर पर होगा। इन पिलर के निर्माण में आधुनिक ओर स्पेशल हाइड्रोलिक पाईल बोरिंग मशीन का उपयोग किया जाएगा। उम्मीद है कि इसी साल में जून के अंत तक इस ब्रिज का निर्माण पूरा हो जाएगा।