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Sunday, June 29, 2025

कपिल सिब्बल के बयान पर मुखर हुए कांग्रेसी, अधीर रंजन बोले- पता नहीं वह कहां के नेता हैं

पांच राज्यों में हार के बाद कांग्रेस सीधे तौर पर दो गुटों में बंट गई है। एक तरफ कांग्रेस नेता अपनी ही पार्टी की आलोचना कर रहे हैं और दूसरी ओर एक खेमा आलोचना करने वाले नेताओं को ही हार का जिम्मेदार बता रहा है। ऐसे में वरिष्ठ कांग्रेसी नेता कपिल सिब्बल के बयान ‘घर की कांग्रेस’ पर सियासत तेज हो गई है

सिब्बल कभी कांग्रेस के लिए गांव तक नहीं गए
कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सिब्बल पर निशाना साधते हुए कहा कि, वह एक अच्छे वकील हो सकते हैं, लेकिन अच्छे नेता नहीं हैं। वह कभी किसी गांव में कांग्रेस के लिए काम करने नहीं गए। कपिल सिब्बल जानबूझकर पार्टी को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्हें याद रखना चाहिए कि सोनिया गांधी और कांग्रेस पार्टी को कोई कमजोर नहीं कर सकता।

उनका कोई जनाधार नहीं
कपिल सिब्बल के बयान पर कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि, उनका कोई जनाधार नहीं है। मुझे नहीं पता कि वह कहां के नेता हैं। वह कांग्रेस के समर्थन के बिना कुछ भी नहीं कर सकते हैं। अपने दम पर लड़ भी नहीं सकते, ऐसे में एसी कमरे में बैठकर इंटरव्यू देने का क्या मतलब है? जब वह यूपीए सरकार में मंत्री थे तो सब कुछ अच्छा था। अब पार्टी सत्ता में नहीं है तो उनके लिए सब बुरा हो गया।

क्या बोले थे सिब्बल?
कपिल सिब्बल ने गांधी परिवार पर हमला बोलते हुए कहा था कि, अब वक्त आ गया है कि ‘घर की कांग्रेस’ की जगह ‘सब की कांग्रेस’ हो। इस बार के परिणामों ने मुझे आश्चर्यचकित नहीं किया क्योंकि मुझे इसका अंदाजा पहले से था। हम 2014 से लगातार नीचे की ओर जा रहे हैं। हमने राज्य दर राज्य खोया है। जहां हम सफल हुए वहां भी हम अपने कार्यकर्ता को एक साथ नहीं रख पाए। इस बीच कांग्रेस से कुछ प्रमुख लोगों का पलायन हुआ है। जिनमें नेतृत्व का भरोसा था वह कांग्रेस से दूर जा रहे थे। 2022 के विधानसभा चुनाव में भी नेतृत्व के करीबी लोगों ने उनका साथ छोड़ दिया। मैं आंकड़े देख रहा था। यह ध्यान रखना वाकई दिलचस्प है कि 2014 से अब तक लगभग 177 सांसद, विधायक के साथ-साथ 222 उम्मीदवार कांग्रेस छोड़ चुके हैं। हमने इतिहास में किसी अन्य राजनीतिक दल में इस तरह का पलायन नहीं देखा है।

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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