गोकुलपुर गांव में हादसे के बाद प्रशासन के लिए नई मुसीबत खड़ी हो गई है। आग में जली 33 झुग्गियों के लिए प्रशासन के आगे 50 से अधिक लोग अपनी दावेदारी ठोक रहे हैं। वहीं, किसी भी पीड़ित के पास झुग्गी को लेकर कोई आधिकारिक प्रमाण पत्र नहीं है। ऐसे में प्रशासन के आगे झुग्गी मालिकों की सही पहचान करना चुनौती बन गया है
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने घटना वाले दिन मौके पर पहुंचकर हादसे में मृत वयस्कों के परिजनों को 10-10 लाख रुपये, मृत बच्चों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपये और झुग्गी के नुकसान की भरपाई के लिए 25-25 हजार रुपये की सहायता राशि देने की घोषणा की थी। साथ ही, जिला प्रशासन की ओर से पीड़ितों के लिए इलाके में ही राहत शिविर भी लगाया है। पहले दिन यहां करीब 23 परिवारों ने पहुंचकर शरण ली। बाद में आसपास के झुग्गियों के निवासी भी मुआवजा लेने के लिए पहुंच गए हैं। इनमें वे लोग भी शामिल हैं, जिनकी झुग्गियों को घटना में मामूली रूप से नुकसान पहुंचा है। यह लोग भी झुग्गी के लिए पूरी भरपाई की मांग कर रहे हैं।
जिला प्रशासन के एक अधिकारी ने बताया कि शिविर में रहने वाले प्रत्येक परिवार के बारे में जानकारी ली जा रही है। इसके लिए आसपास के लोगों व परिवार के अन्य लोगों से भी बातचीत जारी है। कई परिवार मामूली नुकसान के लिए भरपाई की मांग कर रहे हैं। इस वजह से अभी सही पीड़ितों का ब्योरा तैयार करने में परेशानी हो रही है। कुल 60 झुग्गियों में से 33 पूरी तरह से जली हैं, लेकिन शेष झुग्गी मालिक भी मुआवजे की मांग कर रहे हैं।
उजड़ गए आशियाने, अब बनाने की चिंता
अब पीड़ितों को दोबारा आशियाना बसाने की चिंता सताने लगी है। उनका कहना है कि सरकार की मदद के बाद कुछ पता नहीं कि कब तक जिंदगी पटरी पर लौटेगी। पीड़िता सुशीला ने कहा कि बीते 10 वर्षों से वह परिवार के साथ झुग्गी में रह रही थी। एक पल में ही सब कुछ उजड़ गया। अब चिंता है कि सरकार के शिविर हटने के बाद कहां नया ठिकाना होगा। एक अन्य पीड़ित राजकमल ने कहा कि मुश्किल से दिन में 200 से 300 रुपये की मजदूरी होती है। झुग्गी का किराया प्रतिमाह 1200 रुपये था। अब इतने कम रुपये में कहां झुग्गी मिलेगी पता नहीं। कुछ जगहों पर पता किया था, लेकिन कोई भी झुग्गी खाली नहीं है। परिवार को लेकर सड़क पर आ गया हूं।