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Sunday, February 23, 2025

ऐसा भयानक तबाही का मंजर कभी नहीं भूला जाएगा, एक तेज धमाका हुआ और छा गया खौफनाक सन्नाटा

यूक्रेन पर रूस के गुरुवार को हमले के बाद वहां मेडिकल की पढ़ाई के लिए गए राजधानी व आस-पास के जिलों के कई विद्यार्थी भी फंस गए हैं। इन्होंने फोन और सोशल मीडिया से वहां के भयावह हालात बयां किए हैं। कई छात्रों की तो घरवालों से बात तक नहीं हो पाई है। साथ ही यह भी बताया कि उन्हें भारत लौटने के लिए कोई फ्लाइट नहीं मिल रही है। इधर, लखनऊ में चिंता से बेहाल परिवारीजन बच्चों के जल्द सकुशल लौटने की प्रार्थना कर रहे हैं।

कभी नहीं भूलेगा यह मंजर
यूक्रेन के डिनप्रो शहर के मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे मनोज यादव ने बताया कि उनका शहर डानबास से सटा है। ये वही दो इलाके हैं, जिन्हें रूस ने स्वतंत्र देश की मान्यता दी है। ऐसे में जब रूस ने सैन्य कार्रवाई की तो हालत बद से बदतर हो गए। मनोज ने ट्विटर पर भारत सरकार से मदद की गुहार लगाई है। उन्होंने एक वीडियो भी शेयर किया, जिसमें पार्किंग में धड़धड़ाते हुए घुस रहा रूसी टैंक कारों को कुचलते हुए बढ़ रहा है। मनोज ने कहा कि ऐसा भयानक मंजर कभी नहीं भूलेगा। यह भी लिखा कि फ्लाइटें निरस्त होने से मुश्किलें और बढ़ गई हैं। बताया कि दूतावास के बाहर भारतीय छात्रों का हुजूम उमड़ रहा है, पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है। मनोज ने लिखा डिनप्रो में काफी भारतीय छात्र हैं, जो सहमे हुए हैं।

एयरपोर्ट बंद होने से टली वापसी
यूक्रेन में फंसी गोमतीनगर के विकासखंड निवासी एमबीबीएस तृतीय वर्ष की छात्रा ऋषिका घोष की मां रुपाली घोष ने बताया बेटी से हर घंटे मोबाइल पर बात हो रही है। वह बहुत डरी हुई है। उसकी वापसी का 25 तारीख का टिकट था, लेकिन हमले के बाद एयरपोर्ट बंद हो जाने से अभी लौटना संभव नहीं है। ऋषिका के पिता अशोक कुमार व्यापारी हैं। उन्होंने भारत सरकार से छात्रों को सुरक्षित वापस लाने की मांग की है।

एटीएम से पैसे तक नहीं निकल रहे
गोंडा का विश्व मोहन सिंह यूक्रेन में विनिशिया के कॉलेज से एमबीबीएस तृतीय वर्ष का छात्र है। पिता राघवेंद्र प्रताप सिंह किसान हैं। उन्होंने बताया कि परिवार को बेटे की चिंता लगी हुई है। फोन पर उसने बताया कि एटीएम से पैसे नहीं निकल रहे हैं। इससे सामान लेने में दिक्कत हो रही है। राघवेंद्र ने बताया कि दो मार्च को विश्व मोहन की वापसी की फ्लाइट थी, लेकिन इससे पहले ही हालात बिगड़ गए।

हॉस्टल से 20 किमी दूरी पर धमाका
आरडीएसओ विक्रमनगर के शशांक भी यूक्रेन में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे हैं। तृतीय वर्ष के इस छात्र ने ‘अमर उजाला’ से खास बातचीत में बताया कि उसके हॉस्टल से 20 किमी की दूरी पर तेज धमाका हुआ। इसके बाद से खौफ छाया है। माता-पिता लगातार व्हाट्सएप पर कॉल कर रहे थे, लेकिन स्थिति ऐसी थी कि जवाब नहीं दे पा रहा था। कई घंटे गुजरने के बाद परिवारीजन से संपर्क हो सका। बताया कि लोग यूरोप से सटी यूक्रेन की सीमा की ओर भाग रहे हैं। ट्रेनों में जगह नहीं है और टैक्सियां भी नहीं मिल रही हैं। उधर, सुल्तानपुर जिला अस्पताल के डॉक्टर शशांक के पिता डॉ. शशिकांत मिश्रा व अन्य परिवारीजन परेशान हैं।

मैं समय पर आ गई, पर दोस्त फंसे हैं
चिकित्सा के क्षेत्र में कार्यरत एके सचान की बेटी रक्षा सचान का यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई का दूसरा साल है। एडवाइजरी जारी होते ही माता-पिता ने उन्हें बुला लिया। रक्षा कहती हैं कि मैं तो सही समय पर आ गई, लेकिन दो दोस्त वहां फंसे हैं। इनमें से एक छात्रा राजाजीपुरम और दूसरी गोमतीनगर की रहने वाली है। रक्षा के मुताबिक, सुबह बातचीत में दोस्तों ने बताया कि भारतीय दूतावास से मदद मिल रही है। एके सचान ने कहा कि एडवाइजरी जारी हुई तो सोचा कि बेटी को वोटिंग वाले दिन ही बुला लिया जाए। हमारा फैसला सही रहा। हम सबके सुरक्षित रहने की प्रार्थना करते हैं।

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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