बिहार के गया जिले में मंगलवार को दो अलग-अलग इलाकों में ग्रामीणों और पुलिस के बीच हुई झड़पों में 11 पुलिसकर्मी घायल हो गए। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि झड़प में महिलाओं सहित कुछ ग्रामीण भी घायल हुए हैं।
पत्रकारों से बातचीत में पुलिस उपाधीक्षक (कानून-व्यवस्था) ने बताया, ‘‘बेलागंज में रेत खनन की नीलामी के दौरान कुछ ग्रामीणों ने पथराव शुरू कर दिया जिसमें नौ पुलिसकर्मी घायल हो गए।” ग्रामीण इलाके में बालू खदानों की नीलामी का विरोध कर रहे थे।
उन्होंने बताया कि भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने हल्का लीठाचार्ज किया, पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया और आंसू गैस के गोले दागे। पुलिस अधिकारी ने बताया कि महिलाओं सहित कुछ ग्रामीणों को भी झड़प में हल्की चोटें आई हैं। उन्होंने बताया कि घायल पुलिसकर्मियों को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
एक अन्य घटना में इंस्पेक्टर समेत दो पुलिसकर्मी घायल
एक अन्य घटना में गया के मुफस्सिल थाना क्षेत्र में सड़क दुर्घटना में एक युवक की मौत को लेकर विरोध-प्रदर्शन हिंसक हो जाने से एक इंस्पेक्टर समेत दो पुलिसकर्मी घायल हो गए। पुलिस ने कहा कि अमरा गांव के पास एक मोटरसाइकिल के ट्रैक्टर से टकरा जाने से एक व्यक्ति की मौके पर ही मौत हो गई। मृतक गया जिले के टंकुप्पा संभाग का रहने वाला था।
गया के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मनीष कुमार ने संवाददाताओं से बात करते हुए कहा, “दुर्घटना की खबर फैलते ही निवासियों ने राजमार्ग पर विरोध-प्रदर्शन शुरू कर दिया और मुफस्सिल क्षेत्र में यातायात को अवरुद्ध कर दिया।’’
प्रदर्शनकारियों ने शव को सड़क पर रख कर जाम लगा दिया और उसका पोस्टमार्टम कराने से भी इनकार कर दिया। वे सरकार से मुआवजे की मांग कर रहे थे। उन्होंने बताया कि जब मुफस्सिल थाने के थाना प्रभारी पंकज कुमार सिंह अन्य पुलिसकर्मियों के साथ नाकाबंदी हटाने के लिए वहां पहुंचे तो प्रदर्शनकारियों ने उन पर पथराव शुरू कर दिया, जिसमें एसएचओ समेत दो पुलिसकर्मी घायल हो गए।
पुलिस ने युवक के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि पुलिस ने उन्हें तितर-बितर करने के लिए हवाई फायरिंग की। हालांकि, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ने इस दावे को झूठ बताया है।