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Monday, June 23, 2025

पुलवामा हमले के बाद केंद्र के सख्त रवैये से आतंकियों और उनके आकाओं पर नकेल कसी जाने लगी

देश के सबसे बड़े पुलवामा आतंकी हमले के बाद कश्मीर घाटी में आतंक का चेहरा बदल गया। हमले में पाकिस्तान के शामिल होने के भारत के मजबूत दावे के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय के दबाव में आए पाकिस्तान के इशारे पर प्रतिबंधित संगठन जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-ताइबा ने छद्म संगठन बना लिए। जैश ने लश्कर-ए-मुस्तफा खड़ा कर लिया तो लश्कर ने द रजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) के नाम से घाटी में आतंकी घटनाओं को अंजाम देना शुरू कर दिया।

सुरक्षा एजेंसी से जुड़े सूत्रों ने बताया कि जम्मू में 6 फरवरी 2021 को पकड़े गए लश्कर-ए-मुस्तफा के सरगना हिदायतुल्लाह मलिक (शोपियां निवासी) ने पूछताछ में जैश के साथ कनेक्शन की बात स्वीकार की थी। उसके मोबाइल से पाकिस्तान के नंबर और व्हाट्सएप चैट का भी खुलासा हुआ था। उसने पूछताछ में कबूला था कि पाकिस्तान में बैठे मौलाना मसूद अजहर के भाई रऊफ, अबु तलहा उर्फ डाक्टर के सीधे संपर्क में था। उसके इशारे पर ही उसने दिल्ली में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के दफ्तर की रेकी की थी।

पुलवामा हमले के बाद केंद्र के सख्त रवैये से आतंकियों और उनके आकाओं पर नकेल कसी जाने लगी। टेरर फंडिंग के रास्ते रोक दिए गए। हथियारों की तस्करी में भी कमी आई। इस वजह से आतंकी संगठनों के पास पैसे व हथियार की कमी होने लगी। लिहाजा हिदायतुल्लाह के नेतृत्व में शोपियां में 2020 में जम्मू-कश्मीर बैंक से 60 लाख रुपये की लूट की घटना को अंजाम दिया गया। सूत्रों ने बताया कि सख्ती की वजह से हिदायतुल्लाह को घाटी के बाहर भी नेटवर्क खड़ा करने की जिम्मेदारी दी गई।

 

इस कड़ी में उसने बिहार के छपरा और आसपास के इलाकों में अपना नेटवर्क बढ़ाया और हथियारों की सप्लाई मंगाई। बाद के दिनों में उसकी निशानदेही पर बिहार से भी गिरफ्तारियां हुईं। उसने पंजाब में भी संपर्क बढ़ाया था। हिदायतुल्लाह जम्मू में भी अपना नेटवर्क खड़ा कर रहा था। सूत्र बताते हैं कि घाटी में लश्कर ने टीआरएफ के नाम पर ही घटनाओं को अंजाम देना शुरू किया। सुरक्षा बलों को गच्चा देने के लिए उसने हाइब्रिड आतंकी भी तैयार किए। घाटी में टारगेट किलिंग की घटनाओं के पीछे भी टीआरएफ के इन्हीं हाइब्रिड आतंकियों का हाथ था।

 

पुलवामा की बरसी पर सुरक्षा के कड़े प्रबंध

पुलवामा की बरसी पर घाटी में सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए हैं। सुरक्षा बलों को अतिरिक्त सतर्कता बरतने के भी निर्देश दिए गए हैं। महत्वपूर्ण सुरक्षा स्थलों की सुरक्षा बढ़ाने के साथ ही जम्मू-श्रीनगर, श्रीनगर-बारामुला, श्रीनगर-कुपवाड़ा हाईवे पर भी सतर्कता बढ़ा दी गई है। मोबाइल नाके भी लगाए गए हैं। सभी जगहों पर वाहनों की जबरदस्त चेकिंग की जा रही है। आईजी कश्मीर विजय कुमार का कहना है कि सुरक्षा बल हमेशा सतर्क रहते हैं, लेकिन पुलवामा की बरसी को देखते हुए अतिरिक्त सतर्कता बरती जा रही है ताकि आतंकियों की किसी भी नापाक इरादे को नाकाम बनाया जा सके।

पुलवामा हमले के बाद घाटी में तीन साल में 500 से अधिक आतंकियों का सफाया किया। इनमें जैश, लश्कर, अंसार गजवातुल हिंद और हिजबुल के टॉप कमांडर भी शामिल हैं। अनुच्छेद 370 हटने के बाद पांच अगस्त 2019 से अब तक 541 मुठभेड़ में 446 आतंकी मारे जा चुके हैं। पांच अगस्त के बाद आईपीएस विजय कुमार को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से बुलाकर दिसंबर 2019 में कश्मीर पुलिस महानिरीक्षक की कमान सौंपी गई। तब से 400 दहशतगर्दों का काम तमाम हो चुका है।

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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