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Monday, July 7, 2025

जहां चुनाव हैं वहां क्या है कोरोना की स्थिति, क्या 22 जनवरी के बाद रैली-रोड शो से हट सकती है पाबंदी

देश में लगातार चार दिनों की राहत के बाद आज अचानक कोरोना के मामलों में भारी उछाल देखा गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी बुधवार के आंकड़े के अनुसार देश में बीते 24 घंटे में दो लाख 82 हजार 970 ( 2,82,970 ) नए मामले सामने आए हैं जो कि मंगलवार की तुलना में 45 हजार अधिक है। वहीं बीते 24 घंटे में 441 लोगों की कोरोना से मौत हुई हैं। मंगलवार की तुलना में बुधवार को आंकड़ें में फिर बढ़ोत्तरी इस बात के गवाह हैं कि कोरोना मामलों में उतार-चढ़ाव जारी है। ऐसे में सवाल है कि क्या उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब समेत जिन पांच राज्यों में चुनाव हैं क्या 22 जनवरी के बाद भी वहां रैलियों-रोड शो पर पाबंदी लगी रह सकती है?

हालांकि चुनाव आयोग ने सिर्फ चुनावी राज्यों नहीं बल्कि देश भर कोरोना के बढ़ते मामलों को देखकर ही चुनावी राज्यों में सार्वजनिक रैलियों और रोड शो पर प्रतिबंध 22 जनवरी तक बढ़ा दिया है। पहले यह पाबंदी 15 जनवरी तक थी, जिसे आयोग ने एक सप्ताह के लिए बढ़ाया। आठ जनवरी को पांच राज्यों में चुनावों की तारीखों का एलान करते हुए चुनाव आयोग ने कहा था कि सियासी दल चुनाव प्रचार डिजिटल, वर्चुअल, मोबाइल के जरिए करें और फिजिकल प्रचार के पारंपरिक साधनों का इस्तेमाल कम से कम करें।

पांच राज्यों में क्या है कोरोना मामले की स्थिति?

सबसे पहले यह देखते हैं यूपी, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा जहां अगले महीने फरवरी में विधानसभा चुनाव होने हैं, वहां कोरोना के कितने मामले हैं?

उत्तर प्रदेश- यहां 24 घंटे में कुल मामलों की संख्या 14,701 है। 17 जनवरी तक यहां 15, 553 मामले थे।

उत्तराखंड- पहाड़ी राज्य में 24 घंटे में कोरोना के कुल 4,482 सामने आए हैं। एक सप्ताह पहले यहां कुल मामले 3,295 थे।

पंजाब- इस राज्य में कुल मामलों की संख्या 6,487 है। 17 जनवरी तक यहां कुल मामलों की संख्या 6,593 थी।

गोवा- यहां 24 घंटे में कुल मामलों की संख्या 2, 522 है। राज्य में 18 जनवरी तक भी इतने ही मामले थे।

मणिपुर-उत्तर पूर्व के इस राज्य में पिछले 24 घंटे में कोरोना के 380 मामले मिले हैं। 18 जनवरी तक इतने ही मामले थे।

22 जनवरी के बाद क्या होगा ?

इस बारे में पूछे जाने पर चुनाव आयोग के सूत्रों का कहना है कि यह इस बात पर निर्भर करता है कि स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से क्या रिपोर्ट मिलती है? चिंता करने वाली बात यह है कि देश में अब भी 18 लाख से अधिक लोग (18,31,000) संक्रमित हैं। यदि देशभर में कोरोना की रफ्तार यही रही तो बात फिक्र करने वाली है।

यदि चुनावी राज्यों में कोरोना केस कम हो तो?

यदि चुनाव वाले राज्यों में कोरोना के मामले कम आ रहे हों तो ऐसी स्थिति में क्या किया जा सकता है? इसके जवाब में सूत्रों ने कहा कि चुनावी राज्यों में भले केस कम हों लेकिन दूसरे राज्यों में यदि मामले बढ़ रहे हैं तो इसका असर चुनावी राज्यों पर भी पड़ सकता है, क्योंकि चुनाव के दौरान बड़ी संख्या में नेता और कार्यकर्ता दूसरी जगहों से चुनाव वाले राज्यों में आते हैं। यदि ये कार्यकर्ता उन राज्यों से यहां आ रहे हैं जहां संक्रमण दर ज्यादा है, ऐसे में वे यात्रा के दौरान और बाद में लोगों के संपर्क में आएंगे तो चुनावी राज्यों में कोरोना विस्फोट होने से नहीं बचाया जा सकता है। लिहाजा बेहद एहतियात बरतने की जरूरत है। जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं लिया जा सकता, सभी पहलूओं को ध्यान में रखना होगा।

क्या पाबंदी हटेगी?

सूत्रों का कहना है कि यदि लगातर कुछ दिनों तक इन पांचों राज्यों में कम केस आते रहे तो स्थिति की समीक्षा के बाद 22 जनवरी के बाद सख्त ताकीद और कुछ पाबंदियों के साथ पांच राज्यों में रैली-रोड शो से प्रतिबंध हटाया जा सकता है। चुनाव आयोग ने अपनी दूसरी बार के निर्देश में थोड़ी छूट दी है और इनडोर सभाओं के लिए पार्टियों को 300 लोगों को शामिल करने की मंजूरी मिली है। तीसरे निर्देश में भी कुछ पाबंदियों के साथ रैलियों-रोड शो और जनसभाओं की मंजूरी मिल सकती है। लेकिन प्रचार और भीड़ प्रबंधन पर आयोग की सख्त निगरानी रहेगी। सियासी दलों के लिए मास्क और दो गज की दूरी का पूरी तरह से पालन करना अनिवार्य होगा।

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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