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Sunday, June 29, 2025

कमेटी ने शैक्षणिक सत्र 2024 तक नए इंजीनियरिंग कॉलेज न खोलने का सुझाव दिया

अगले दो साल तक नए इंजीनियरिंग कॉलेज नहीं खोले जाएंगे। सरकार की उच्चस्तरीय कमेटी ने विभिन्न मानकों और मार्केट डिमांड का सर्वेक्षण करने के आधार पर रिपोर्ट तैयार की है। इसमें इस कमेटी ने शैक्षणिक सत्र 2024 तक नए इंजीनियरिंग कॉलेज न खोलने का सुझाव दिया है।

अब दो साल बाद (2024 में) मार्केट डिमांड के आधार पर रिव्यू किया जाएगा। इसी कमेटी ने इससे पहले 2018 में नए इंजीनियरिंग कॉलेज न खोलने की सिफारिश की थी। इसके बाद अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद(एआईसीटीई) ने 2019 से अगले दो वर्षो के लिए नए इंजीनियरिंग कॉलेज न खोलने का फैसला लिया था। कमेटी ने पारंपरिक कोर्स की बजाय आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, मशीन लर्निंग, रोबोटिक जैसे मार्केट डिमांड या रोजगार देने वाले कोर्स को शुरू करने की दोबारा सिफारिश की है।

अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के चैयरमेन प्रो. अनिल डी सहस्त्रबुद्धे ने बताया कि एआईसीटीई ने इसी साल नवंबर में अपनी एक्सपर्ट कमेटी से नए इंजीनियरिंग कॉलेज खोलने की संभावना को लेकर राय मांगी थी। कमेटी ने अगले दो साल तक नए इंजीनियरिंग कॉलेज न खोलने की सिफारिश की है। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में जो सिफारिश दी है, उसी के आधार पर फैसला लिया गया है। फिलहाल नए इंजीनियरिंग कॉलेजों की कोई आवश्यकता नहीं है। इसलिए देश में अगले दो वर्ष यानी 2024 तक नए इंजीनियरिंग कॉलेज नहीं खोले जाएंगे।

कई इंजीनियरिंग कॉलेजों में 50 फीसदी से अधिक सीटें खाली रह जाती हैं। यहां संसाधनों का पूरा उपयोग नहीं हो पाता है। इसलिए नए इंजीनियरिंग कॉलेजों को खोलकर संस्थानों पर आर्थिक प्रेशर डालना सही नहीं है। क्योंकि सीट खाली रहने से कॉलेज अपने खर्चा नहीं निकाल पाते हैं। सीट के आधार पर शिक्षकों समेत अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर भी बढ़ाना होता है। ऐसे में जब पैसे  नहीं आएंगे तो संस्थान या कॉलेज कम वेतन पर शिक्षकों की नियुक्ति करते हैं, जोकि योग्यता में खरे नहीं उतरते हैं। इससे छात्रों का पढ़ाई में भी नुकसान होता है। दरअसल अब इंजीनियरिंग क्षेत्र में युवाओं का रुझान भी कम हुआ है। क्योंकि मार्केट में कई नए क्षेत्र उभरकर आ रहे हैं, जहां रोजगार के मौके अधिक हैं। इसके अलावा कई पुराने कोर्स अब मार्केट डिमांड में भी नहीं है।

एसोचैम की रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 52 फीसदी इंजीनियरिंग पासआउट छात्रों को रोजगार मिला था। रोजगार दर बढ़ाने के मकसद से  एआईसीटीई ने कमेटी भी गठित की थी। इसी कमेटी ने सिफारिश की थी कि ऐसे पारंपरिक कोर्स, जिनकी मार्केट में डिमांड नहीं है, उनके स्थान पर नए कोर्स को शामिल किया जाना चाहिए। इसमें आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, मशीन लर्निंग, रोबोटिक जैसे मार्केट डिमांड या रोजगार देने वाले कोर्स को शुरू करना था। इसके अलावा बीटेक कोर्स के पाठ्यक्रम में निरंतर बदलाव की बात भी कही थी।

एआईसीटीई की एक्सपर्ट कमेटी आईआईटी हैदराबाद के बोर्ड ऑफ गवर्नर के चेयरमैन प्रो. बीवीआर मोहन रेड्डी की अध्यक्षता में गठित की गई है। इस आठ सदस्यीय कमेटी में आईआईटी, फिक्की, नैसकॉम, एसोचैम, सेंटर फॉर मैनेजमेंट एजुकेशन आदि के विशेषज्ञ भी शामिल थे। कमेटी ने अंतराष्ट्रीयय व राष्ट्रीय बाजार में इंजीनियरिंग की घटती मांग के आधार पर रिपोर्ट तैयार की है।

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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