केंद्र सरकार ग्रामीणों और किसानों के लिए कई तरह की योजनाएं चला रही है। इनमें से कई योजनाएं लोगों के लिए वरदान भी साबित हो रही हैं। सरकार की इन लाभकारी योजनाओं में से एक है पीएम स्वामित्व योजना। इस योजना के तहत गांव के उन लोगों को जमीन का मालिकाना हक मिलता है, जिनके पास अपनी जमीन के जरूरी कागजात नहीं हैं।
सिर्फ यही नहीं सरकार ऐसे लोगों की जमीनों को रिकॉर्ड में लेकर आएगी। देश के कई राज्यों और उनके ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे न जाने कितने लोग रहते हैं, जिनके पास उनकी जमीन के मालिकाना हक से जुड़े कोई जरूरी दस्तावेज नहीं हैं।
ऐसे में प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना उन लोगों को उनकी जमीन का मालिकाना हक तय कर रही है। तो आइए इस रिपोर्ट में जानते हैं कि पीएम स्वामित्व योजना की शुरुआत कब हुई थी और कौन से लोग इस योजना का लाभ उठा सकते हैं।
कब हुई थी योजना की शुरुआत
केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना की शुरुआत 24 अप्रैल 2020 को की थी। 2020-21 के दौरान महाराष्ट्र, कर्नाटक, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, पंजाब और राजस्थान के कुछ गांवों में इस योजना के पायलट चरण को लागू किया गया था।
क्या है प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना का उद्देश्य
इस योजना के तहत केंद्र सरकार का मुख्य उद्देश्य सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण और आत्मनिर्भर ग्रामीण भारत को बढ़ावा देना और गांव के लोगों को प्रोत्साहन देना है।
जमीन का मालिकाना हक पाने के लिए क्या करना होगा
पीएम स्वामित्व योजना के तहत गांव में रहने वाले लोगों को अपनी जमीन की प्रॉपर्टी कार्ड के लिए आवेदन करने की कोई जरूरत नहीं है। सरकार जैसे-जैसे गांवों में मैपिंग और सर्वे का काम पूरा करती जाएगी, वैसे-वैसे लोगों को उनकी जमीन का प्रॉपर्टी कार्ड मिलता जाएगा।
बस एक बात का ध्यान रहे कि जिन लोगों के पास अपनी जमीन के कागज पहले से ही मौजूद हैं, वो तुरंत उसकी फोटोकॉपी जमा करा सकते हैं। इसके अलावा जिन लोगों के पास उनकी जमीन से जुड़ा कोई भी कागज उपलब्ध नहीं है, उन्हें सरकार की ओर से घिरौनी नाम का दस्तावेज दिया जाएगा।