यात्रियों की सुगम यात्रा के लिए निरंतर प्रयासरत भारतीय रेल जल्द ही एक नया कोच लॉन्च करेगी, जिसमें बैठकर यात्रीगण बहुत ही अलग और अनोखा महसूस करेंगे। इस कोच में बैठने के बाद आप प्रकृति की खूबसूरती का लुत्फ भी उठा पाएंगे। भारतीय रेल ने 44 सीटों वाला एक विस्टाडोम कोच का निर्माण किया है और इसका ट्रायल भी सफ़लतापूर्वक पूरा कर लिया है। मंगलवार को इस कोच का ट्रायल 180 किमी/घंटा की रफ़्तार पर किया गया। केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल ने ट्वीट करके इस बारे में जानकारी दी।
180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पर किया गया परीक्षण
भारतीय रेल की ये नई डिजाइन वाली विस्टाडोम कोच 180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ेगी। केंद्रीय रेल मंत्री पियूष गोयल ने खुद ट्वीट करके इस बात की जानकारी दी। उन्होंने नए कोच की तस्वीरों को ट्विटर पर साझा करते हिुए लिखा, “एक बड़ी उपलब्धि के साथ साल का अंत हो रहा है। भारतीय रेलवे ने सफलतापूर्वक नए डिजाइन के विस्टाडोम पर्यटक कोच का 180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से सफल परीक्षण किया है। ये कोच यात्रियों के लिए रेल यात्रा को यादगार बनाएगा और पर्यटन के क्षेत्र में माउंटेन रेलवे को और बढ़ावा देगा।”
विस्टाडोम कोच की खासियत
नए विस्टाडोम कोच में बड़े-बड़े ग्लास लगे हुए हैं, जिससे सफर के दौरान यात्री बाहर का नजारा देख सकते हैं। एक कोच में 44 लोगों के बैठने की व्यवस्था की गई है। पर्यटकों के आरामदायक सफर के लिए एयर स्प्रिंग सस्पेंशन लगाया गया है। इन सबके अलावा आसमान के नजारों का लुत्फ उठा सकेंगे। इसके लिए इलेक्ट्रॉनिक नियंत्रित वाली कांच की रूफ टॉप लगाई गई है। लंबी खिड़की वाला लाउंज भी हर कोच में उपलब्ध होगा। सबसे बड़ी बात यह है कि कोच की सीटें 180 डिग्री तक रोटेट हो सकती हैं, ताकि सफर के दौरान यात्रियों की नजर से कोई भी नजारा छूटने ना पाए और वह अपनी मर्जी के मुताबिक ट्रेन की गति की दिशा में सीटों को घुमा सकें।
कोच में मिलेगा WiFi, दिव्यांगों के लिए विशेष सुविधा
इन कोच में वाई-फाई आधारित पैसेंजर इंफॉर्मेशन सिस्टम भी लगाए गए हैं। इनके अलावा इन कोच में ऑटोमेटिक और बड़े स्लाइडिंग डोर लगाए गए हैं, ताकि दिव्यांगों को भी किसी तरह की असुविधा ना हो। यही नहीं इसमें एक छोटी पैंट्री भी बनाई गई है।
कहाँ-कहाँ मिल रही विस्टाडोम कोच की सुविधा
इस समय भारतीय रेलवे विस्टाडोम कोच के पुराने वर्जन का संचालन कर रहा है। 13 ओल्ड वर्जन कोच कुछ चुने हुए रेल मार्गं पर इस्तेमाल किए जा रहे हैं, जिनमें- दादर और मडगांव, अरकू घाटी, कश्मीर घाटी, दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे, कालका-शिमला रेलवे, कांगड़ा वैली रेलवे, माथेरान हिल रेलवे, और नीलगिरि माउंटेन रेलवे शामिल हैं।

वंदे भारत के बराबर है स्पीड
स्पीड के मामले में ये ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रेस के बराबर है, जिसने ट्रायल के दौरान 180 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा की गति हासिल की थी। इस ट्रेन की अधिकतम गति 220 किमी प्रति घंटे तक हो सकती है। इससे पहले भारतीय ट्रैकों पर टैल्गो ट्रेन 180 की स्पीड से दौड़ी थी, लेकिन वह स्पेन की ट्रेन थी।