वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने बुधवार को सवाल उठाया कि राज्यसभा में 12 सांसदों के निलंबन को समाप्त करने के प्रस्ताव को अनुमति क्यों नहीं दी गई। उन्होंने कहा कि सरकार को इस तरह के प्रस्ताव को समाप्त करने का फैसला मतदान के बाद लेना चाहिए और निष्पक्षता और न्याय के प्रति सम्मान प्रदर्शित करना चाहिए।
संसद के पिछले मानसून सत्र के दौरान अनुशासनहीनता करने के आरोप में राज्यसभा के 12 सांसदों को बीती 29 नवंबर को वर्तमान में चल रहे पूरे शीत कालीन सत्र से निलंबित कर दिया गया था। विपक्षी दल इस फैसले का लगातार विरोध कर रहे हैं और इसके चलते संसद के उच्च सदन की कार्यवाही बार-बार बाधित हो रही है।
विपक्ष ने सांसदों के निलंबन के निर्णय को अलोकतांत्रिक और सदन के नियमों का उल्लंघन बताया है। चिदंबरम ने कहा, ‘राज्यसभा के प्रक्रिया नियमों का नियम 256(2) स्पष्ट है। सदस्य या सदस्यों के निलंबन के लिए एक प्रस्ताव कभी भी लाया जा सकता है। ऐसा की ही एक प्रस्ताव आज लाया गया था। इसे क्यों अनुमति नहीं दी गई?’
उन्होंने आगे कहा, केंद्र सरकार प्रस्ताव पर मतदान से बचने की कोशिश क्यों कर रही है? सरकार को चाहिए कि वह मतदान करवाए और इसके माध्यम से प्रस्ताव को हराए।’ बता दें कि केंद्र ने निलंबित सांसदों से मांग की है कि वह सदन से माफी मांगें। वहीं, विपक्षी नेताओं ने केंद्र की इस मांग को मानने से साफ इनकार किया है।
संग्रहालय बन गया है संसद भवन, केसी वेणुगोपाल
उधर, कांग्रेस महासचिव (सांगठनिक) केसी वेणुगोपाल ने लखीमपुर खीरी हिंसा का मुद्दा उठाते हुए कहा कि सरकार संसद में इस घटना पर चर्चा तक नहीं होने दे रही है। संसद भवन एक संग्रहालय बन गया है। कोई बहस नहीं, कोई चर्चा नहीं। केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन का एजेंडा कांग्रेस को नुकसान पहुंचाना है जिसकी पहल भाजपा ने की है।
वहीं, मंगलवार की शाम को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के आवास पर हुई विपक्षी नेताओं की बैठक को लेकर वेणुगोपाल ने कहा कि यह एक अनौपचारिक बैठक थी। कोविड प्रतिबंधों की वजह से वह राज्यवार बैठकें कर रही हैं। ऐसी और बैठकों का आयोजन भी होगा। कल हुई बैठक में शिवसेना सांसद संजय राउत और एनसीपी प्रमुख शरद पवार भी थे।