ग्रेड पे मामले में पुलिसकर्मी आश्वासन फिर घोषणा और अब शासनादेश का इंतजार कर रहे हैं। डेढ़ माह से मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद भी शासनादेश नहीं हुआ है। ऐसे में पुलिसकर्मियों और उनके परिजनों में फिर नाराजगी पनप रही है। यह नाराजगी अब अगले महीने और भी बढ़ सकती है। क्योंकि, आने वाला नंबर 2002 में भर्ती पुलिसकर्मियों की मांग का रहेगा।
दरअसल निश्चित समयंतराल की सेवा के बाद पुलिसकर्मियों को 4600 ग्रेड पे दिए जाने की व्यवस्था थी। उत्तराखंड में सबसे पहले भर्ती 2001 में हुई थी। जब-जब इस बैच का नंबर आया तब तक यह अवधि बढ़ा दी गई। अब 20 साल का प्रावधान हुआ तो पुलिसकर्मियों को 2800 ग्रेड पे दिए जाने की बात होने लगी। इस पर पुलिसकर्मियों ने सोशल मीडिया पर इसकी मांग उठानी शुरू कर दी। मार्च में आंदोलन की बागडोर सिपाहियों के परिजनों ने संभाल ली। इसके बाद आंदोलन हुए और फिर विचार के लिए समितियां बनीं। लेकिन, पुलिसकर्मियों के परिजन नहीं माने।
अक्तूबर में मुख्यमंत्री आवास का कूच करते समय देर रात तक आंदोलन हुआ। इसके बाद आश्वासन मिला कि जल्द ही इसे लागू कर दिया जाएगा। इस आश्वासन के बाद मुख्यमंत्री ने अपना वादा निभाया और 2001 में भर्ती हुए सिपाहियों को सितंबर 2021 से 4600 ग्रेड पे दिए जाने की घोषणा की गई। यह घोषणा 21 अक्तूबर को पुलिस लाइन में रैतिक परेड के कार्यक्रम में हुई। पुलिसकर्मियों और उनके परिजनों ने मुख्यमंत्री का आभार जताने के बाद खुशी भी मनाई गई। अब पुलिसकर्मी इस घोषणा के बाद शासनादेश का इंतजार कर रहे हैं। डेढ़ माह से शासन ने इस पर कोई फैसला नहीं लिया है।
अब 2002 वालों की बारी
दरअसल, 2001 के बाद अगले ही साल 2002 में भी सिपाहियों की भर्ती हुई। मुख्यमंत्री ने घोषणा सिर्फ 2001 वाले सिपाहियों के लिए की थी। इसका अभी तक शासनादेश भी जारी नहीं हुआ। लेकिन, अब चंद दिनों में 2002 में भर्ती सिपाही भी इसकी आस लगाने लगे हैं। माना जा रहा है कि जल्द ही इस पर कोई फैसला नहीं किया गया तो 2002 बैच के सिपाही और उनके परिजनों के मुखर होने की भी संभावना है।