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Monday, June 23, 2025

प्रियंका चतुर्वेदी के बाद शशि थरूर ने भी शो को किया बाय-बाय क्यों आरोपों के घेरे में संसद टीवी

राज्यसभा से 12 सांसदों के निलंबन के विरोध में शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी के संसद टीवी की एंकरिंग छोड़ने के बाद अब कांग्रेस के लोकसभा सांसद शशि थरूर ने भी इस चैनल की एंकरिंग छोड़ दी है। थरूर इस चैनल पर ‘टू द प्वाइंट’  कार्यक्रम पेश कर रहे थे। प्रधानमंत्री ने 15 सितंबर को लोकसभा टीवी और राज्यसभा टीवी को मिलाकर बनाए गए ‘संसद टीवी’ की शुरुआत की थी। चैनल में कुछ मौजूदा और पूर्व सांसदों को भी कार्यक्रम की मेजबानी करने के लिए कहा गया था। जिसमें कांग्रेस के सांसद शशि थरूर, पूर्व सांसद और कांग्रेस के दिग्गज नेता कर्ण सिंह और शिवसेना नेता और राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी शामिल थीं।

प्रियंका चतुर्वेदी ने रविवार को संसद टीवी पर ‘मेरी कहानी’ की एंकरिंग नहीं करने का फैसला किया था। यह कार्यक्रम महिला सांसदों को सफरनामे पर केंद्रित था। चतुर्वेदी उन सांसदों में एक है जिन्हें संसद के पूरे शीतकालीन सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया है।  

थरूर ने क्यों छोड़ी एंकरिंग

तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस सांसद थरूर इससे पहले यूएन टेलीविजन के लिए माइकल डगलस (हॉलीवुड अभिनेता) और कई अन्य हस्तियों के इंटरव्यू कर चुके थे। संसद टीवी पर वे ‘टू द प्वाइंट’ कार्यक्रम में वे जानी-मानी हस्तियों के साथ जीवन की गहराई और उनके कार्यों पर सरल एवं सहज अंदाज में बातचीत कर रहे थे। संसद टीवी की एंकरिंग छोड़ने का फैसला करते हुए थरूर ने ट्वीटर पर एक पत्र शेयर किया है। जिसमें उन्होंने राज्यसभा से निलंबित हुए सांसदों के निलंबन पर अपनी नाराजगी जाहिर की है। 

थरूर ने रखी ये शर्त
साथ ही कहा है कि वे अपने सहयोगी सांसदों के समर्थन में एंकरिंग छोड़ रहे हैं और सासंदों का निलंबन रद्द नहीं होने तक तक एंकरिंग नहीं करेंगे। विपक्षी दलों के 12 सांसदों को संसद के मानसून सत्र में संसदीय  परंपरा के अनुकूल व्यवहार नहीं करने के आरोप में निलंबित किया गया है। 29 नवंबर को संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन ही सांसदों का निलंबन हुआ है। 

थरूर ने कहा कि मैंने यह सोचकर संसद टीवी की एंकरिग के प्रस्ताव को स्वीकार किया था कि इससे एक नई परंपरा शुरू होगी और राजनीतिक विचाराधार अलग होने के बाद इस सिद्धांत को मजबूती मिलेगी कि संसद की विभिन्न संस्थाओं में हिस्सा लेने से हमें रोका नही जा रहा। 

सिर्फ सत्ता पक्ष के सांसदों पर होता है कैमरे का फोकस
अपने पत्र में थरूर ने यह भी आरोप लगाया है कि संसद टीवी का कैमरा केवल सत्ता पक्ष के सांसदों पर फोकस किया जाता है और विपक्षी दल को नजरअंदाज किया जाता है। संसद टीवी को संसद की विभिन्नताओं को दिखाना चाहिए। पिछले सप्ताह टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने भी इस मुद्दे को उठाया था। उन्होंने कहा था कि मैं टीएमसी की ओर से दोनों सदनों के पीठासीन अधिकारियों से विनम्रतापूर्वक टेलीविजन कवरेज में सुधार करने की अपील करना चाहता हूं। टीवी पर सभी विरोधों को सेंसर कर दिया गया है और हम इस सेंसरशिप को रोकने की मांग करते हैं, संसद को बंद कक्ष में नहीं बदला जा सकता।

थरूर के आरोपों में कितना दम?
चैनल की शुरुआत में कहा गया था कि कुछ कार्यक्रमों की रूपरेखा इस तरह बनाई जा सकती है कि जहां एक सांसद एक एपिसोड करेंगे वहीं दूसरे सांसद दूसरे एपिसोड में दिखाई देगें। इस तरह से अधिक से अधिक सांसदों को कार्यक्रम प्रस्तुत करने का मौका मिलेगा, जिसमें विपक्ष के सांसद भी होंगे। हालांकि कुछ कांग्रेसी सांसदों का कहना है कि संसद टीवी ने भले ही कुछ विपक्षी सांसदों को एंकरिंग का मौका दिया लेकिन थरूर का यह आरोप सच है कि संसद टीवी के फोकस में सिर्फ सत्ता पक्ष होता है और विपक्षी दलों को ज्यादा फुटेज नहीं दिया जाता है। 

टीएमसी के एक सांसद के मुताबिक कई बार ऐसा हुआ है जब सदनों का सत्र चल रहा होगा, तब संसद टीवी कार्यवाही का प्रसारण कर रही होती है। ऐसे में हम जैसे ही बोलना शुरू करते हैं या तो आवाज चली जाती है या कभी किसी तकनीकी समस्या आने की बात कही जाती है। इस तरह विपक्षी सांसदों की आवाज दबा दी जाती है। जबकि हमें उम्मीद थी कि नया चैनल लॉन्च होगा तो इसमें पारदर्शिता बरती जाएगी, क्योंकि इससे पहले राज्यसभा और लोकसभा टीवी पर संसद की कार्यवाही को सेंसर करने के आरोप लगते रहे हैं।

लोकसभा और राज्यसभा टीवी को संसद टीवी में मिलाए जाने से पहले इसी साल संसद के मानसून सत्र के दौरान भी तृममूल कांग्रेस ने यही आरोप लगाया था कि राज्यसभा टीवी पर विपक्ष के विरोध प्रदर्शनों को “सेंसर” कर दिया गया था। पार्टी के राज्यसभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने ट्वीट कर कहा था “सेंसरशिप। राज्यसभा टीवी चुनिंदा फुटेज दिखा रहा है। 15 विपक्षी दलों के लगभग 100 सांसद सदन में विरोध प्रदर्शन कर रहे थे लेकिन इसका प्रसारण नहीं किया जा रहा है।

इसी तरह, कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने आरोप लगाया था कि लोकसभा टेलीविजन “सर्वोच्च विधायी संस्थान में असंतोष को दबाने के ठोस प्रयास” के तहत विपक्षी दलों के कंटेट को “सेंसर” कर रहा है। तिवारी ने अपने ट्वीट में लिखा था “लोकसभा टीवी किसी विशेष राजनीतिक दल की संपत्ति नहीं है, इसे निष्पक्ष तरीके से कार्यवाही दिखानी चाहिए। कैमरे का चयनात्मक फोकस सेंसरशिप का सबसे खराब रूप है’। पूर्व केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने कहा था एक कथित स्वायत्त संस्थान जिस तरह से व्यवहार कर रहा है, वह हास्यास्पद है।

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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