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Saturday, June 28, 2025

देश में 2025 तक 25 से ज्यादा शहरों में मेट्रो चलाने की योजना

जिस तरह लोकल ट्रेन मुंबई की लाइफ लाइन है, वैसे ही दिल्ली की लाइफलाइन दिल्ली मेट्रो बन चुकी है, जो इसे एनसीआर के विभिन्न क्षेत्रों से कनेक्ट करती है। अन्य शहरों की बात करें तो कोलकाता, लखनऊ, बेंगलुरु, मुंबई, कोच्च‍ि, चेन्नई, समेत 21 शहरों में मेट्रो रेल सेवाएं जारी हैं। आने वाले समय में यानी 2025 तक देश के 25 से अधिक शहरों में इस सेवा का विस्तार करने की योजना केंद्र सरकार बना रही है।

सोमवार को दिल्ली मेट्रो की मजेंटा लाइन पर चालक रहित ट्रेन को हरी झंडी देने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वर्ष 2025 तक देश के 25 से ज्यादा शहरों में मेट्रो चलाने की योजना बनायी जा रही है। उन्‍होंने कहा कि आज मेट्रो केवल सार्वजनिक परिवहन का एक माध्यम नहीं है, बल्कि प्रदूषण को कम करने का एक शानदार तरीका है।

देश में संचालित मेट्रो रेल सेवाएं

अहमदबाद मेट्रो
बेंगलुर में बीएमआरसी- नम्मा मेट्रो
चेन्नई मेट्रो
हैदराबाद मेट्रो
जयपुर मेट्रो
कोच्चि मेट्रो
कोलकाता मेट्रो
मुंबई मेट्रो
नागपुर मेट्रो
नोएडा मेट्रो
गुरुग्राम मेट्रो
लखनऊ मेट्रो कर

वहीं दिल्ली और एनसीआर में क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए बन रहे भारत के पहले रीजनल रैपिड ट्रांज़िट सिस्टम (आरआरटीएस) के तहत दिल्ली मेरठ आरआरटीएस का मॉडल तैयार किया जा रहा है जो दिल्ली और मेरठ की दूरी को घटाकर एक घंटे से भी कम कर देगा।

जिन शहरों में जहां यात्री संख्या कम है, वहां मेट्रोलाइट वर्जन पर काम हो रहा है। ये सामान्य मेट्रो की 40 प्रतिशत लागत से ही तैयार हो जाती है। जिन शहरों में सवारियां और भी कम हैं, वहां मेट्रोनियो पर काम हो रहा है। ये सामान्य मेट्रो की 25 प्रतिशत लागत से ही तैयार हो जाती है। इसी तरह वॉटर मेट्रो भी आउट ऑफ द बॉक्स सोच का उदाहरण है।

सरकार ने पहली बार मेट्रो नीति तैयार की:

प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने पहली बार मेट्रो नीति तैयार की और इसे एक सर्वांगीण रणनीति के साथ लागू किया। इसमें हमारा जोर स्थानीय मांग के अनुसार काम करने, स्थानीय मानकों को बढ़ावा देने, मेक इन इंडिया के विस्तार और आधुनिक तकनीक के उपयोग पर था। उन्होंने कहा कि यह ध्यान में रखा गया है कि शहर के लोगों की जरूरतों और वहां की पेशेवर जीवनशैली के अनुसार मेट्रो के विस्तार, आधुनिक तौर-तरीकों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। यही कारण है कि विभिन्न शहरों में विभिन्न प्रकार की मेट्रो रेल पर काम किया जा रहा है।

तमाम सेवाओं को एकीकृत कर रही सरकार:

पीएम मोदी ने कहा कि सरकार ने जनता की सुविधा की लिए जीएसटी, फास्ट टैग कार्ड, एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड सहित तमाम व्यवस्थाओं को एकीकृत करने का काम किया है। उन्होंने कहा कि वन नेशन, वन राशन कार्ड से एक स्थान से दूसरे स्थान जाने वाले नागरिकों को नया राशन कार्ड बनाने के चक्करों से मुक्ति मिली है। इसी तरह नए कृषि सुधारों और ई-नाम जैसी व्यवस्थाओं से वन नेशन, वन एग्रीकल्चर मार्केट की दिशा में देश आगे बढ़ रहा है।

जिन शहरों में जहां यात्री संख्या कम है, वहां मेट्रोलाइट वर्जन पर काम हो रहा है। ये सामान्य मेट्रो की 40 प्रतिशत लागत से ही तैयार हो जाती है। जिन शहरों में सवारियां और भी कम हैं, वहां मेट्रोनियो पर काम हो रहा है। ये सामान्य मेट्रो की 25 प्रतिशत लागत से ही तैयार हो जाती है। इसी तरह वॉटर मेट्रो भी आउट ऑफ द बॉक्स सोच का उदाहरण है।

सरकार ने पहली बार मेट्रो नीति तैयार की

प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने पहली बार मेट्रो नीति तैयार की और इसे एक सर्वांगीण रणनीति के साथ लागू किया। इसमें हमारा जोर स्थानीय मांग के अनुसार काम करने, स्थानीय मानकों को बढ़ावा देने, मेक इन इंडिया के विस्तार और आधुनिक तकनीक के उपयोग पर था। उन्होंने कहा कि यह ध्यान में रखा गया है कि शहर के लोगों की जरूरतों और वहां की पेशेवर जीवनशैली के अनुसार मेट्रो के विस्तार, आधुनिक तौर-तरीकों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। यही कारण है कि विभिन्न शहरों में विभिन्न प्रकार की मेट्रो रेल पर काम किया जा रहा है।

तमाम सेवाओं को एकीकृत कर रही सरकार:

पीएम मोदी ने कहा कि सरकार ने जनता की सुविधा की लिए जीएसटी, फास्ट टैग कार्ड, एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड सहित तमाम व्यवस्थाओं को एकीकृत करने का काम किया है। उन्होंने कहा कि वन नेशन, वन राशन कार्ड से एक स्थान से दूसरे स्थान जाने वाले नागरिकों को नया राशन कार्ड बनाने के चक्करों से मुक्ति मिली है। इसी तरह नए कृषि सुधारों और ई-नाम जैसी व्यवस्थाओं से वन नेशन, वन एग्रीकल्चर मार्केट की दिशा में देश आगे बढ़ रहा है।

मेट्रो के विस्तार में मेक इन इंडिया

प्रधानमंत्री ने कहा कि मेट्रो सर्विसेस के विस्तार के लिए, मेक इन इंडिया महत्वपूर्ण है। मेक इन इंडिया से लागत कम होती है विदेशी मुद्रा बचती है और देश में ही लोगों को ज्यादा से ज्यादा रोजगार मिलता है। उन्होंने काह कि रोलिंग स्टॉक के मानकीकरण से हर कोच की लागत अब 12 करोड़ से घटकर 8 करोड़ पहुंच गयी है। आज चार बड़ी कंपनियां देश में ही मेट्रो कोच का निर्माण कर रही हैं। दर्जनों कंपनिया मेट्रो कंपोनेंट्स के निर्माण में जुटी हैं। इससे मेक इन इंडिया के साथ ही आत्मनिर्भर भारत के अभियान को मदद मिल रही है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि मेट्रो सर्विसेस के विस्तार के लिए, मेक इन इंडिया महत्वपूर्ण है। मेक इन इंडिया से लागत कम होती है विदेशी मुद्रा बचती है और देश में ही लोगों को ज्यादा से ज्यादा रोजगार मिलता है। उन्होंने काह कि रोलिंग स्टॉक के मानकीकरण से हर कोच की लागत अब 12 करोड़ से घटकर 8 करोड़ पहुंच गयी है। आज चार बड़ी कंपनियां देश में ही मेट्रो कोच का निर्माण कर रही हैं। दर्जनों कंपनिया मेट्रो कंपोनेंट्स के निर्माण में जुटी हैं। इससे मेक इन इंडिया के साथ ही आत्मनिर्भर भारत के अभियान को मदद मिल रही है।

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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