रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 21 नवंबर को प्रोजेक्ट 15बी के पहले स्टील्थ गाइडेड मिसाइल विध्वंसक जहाज ‘विशाखापत्तनम’ को भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल करेंगे। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि नौसेनाध्यक्ष करमबीर सिंह होंगे। इसके बाद दिसंबर की शुरुआत में सर्वे वेसललार्ज प्रोजेक्ट का पहला जहाज संधायक लॉन्च किया जाएगा।
भारत में निर्मित सबसे बड़े विध्वंसक में से है एक
नौसेना प्रवक्ता विवेक मधवाल के अनुसार विशाखापत्तनम का निर्माण स्वदेशी स्टील डीएमआर 249ए का उपयोग करके किया गया है। यह 163 मीटर की कुल लंबाई और 7400 टन से अधिक की वहन क्षमता के साथ भारत में निर्मित सबसे बड़े विध्वंसक में से एक है। जहाज में लगभग 75% स्वदेशी सामग्री लगाई गई है जो आत्मनिर्भर भारत में अहम योगदान है। यह जहाज एक शक्तिशाली प्लेटफ़ॉर्म है जो सामुद्रिक युद्ध के पूर्ण आयामों में विस्तृत अनेक प्रकार के कार्यों और मिशनों को पूरा करने में सक्षम है।
क्यों खास है ये जहाज
विशाखापत्तनम हथियारों और सेंसर से लैस है, जिसमें सुपरसोनिक सतह से सतह और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल, मध्यम और छोटी दूरी की गन्स, पनडुब्बी रोधी रॉकेट और उन्नत इलेक्ट्रॉनिक युद्ध और संचार सूट शामिल हैं। यह जहाज शक्तिशाली संयुक्त गैस प्रणोदन के साथ 30 समुद्री मील से अधिक की गति से चल सकता है। इस जहाज में अपनी पहुंच को और बढ़ाने के लिए दो एकीकृत हेलीकॉप्टरों के संचालन की क्षमता है। परिष्कृत डिजिटल नेटवर्क, कॉम्बैट मैनेजमेंट सिस्टम और इंटीग्रेटेड प्लेटफॉर्म मैनेजमेंट सिस्टम समेत बहुत उच्चस्तर का स्वचालन इस जहाज की शान है।
नई पीढ़ी के हाइड्रोग्राफिक उपकरणों से लैस है
नौसेना प्रवक्ता ने बताया कि अगले माह दिसंबर में सर्वे वेसललार्ज प्रोजेक्ट का पहला जहाज ‘संधायक’ लॉन्च किया जाएगा। इसे कोलकाता के गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) ने बनाया है। यह चार सर्वे वेसललार्ज (एसवीएल) प्रोजेक्ट में से पहला है। 30 अक्टूबर 2018 को रक्षा मंत्रालय और जीआरएसई के बीच चार एसवीएल जहाजों के निर्माण के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए थे। संधायक क्लास के ये बड़े सर्वेक्षण जहाज एयूवी, आरओवी, 11 मीटर सर्वेक्षण नौकाओं और हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्र संबंधी भूभौतिकीय डेटा एकत्र करने और विश्लेषण करने के लिए उन्नत स्वदेशी डेटा अधिग्रहण प्रणाली सहित नई पीढ़ी के हाइड्रोग्राफिक उपकरणों से लैस हैं।
‘आत्मनिर्भर भारत’ की पहचान होगी मजबूत
वाइस एडमिरल एसएन घोरमडे ने कहा कि यह आयोजन ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के राष्ट्रीय उद्देश्यों को साकार करने में न केवल भारतीय नौसेना बल्कि एमडीएल, ओरिजिनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर्स (ओईएम) और एमएसएमई की क्षमता पर प्रकाश डालता है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में विभिन्न शिपयार्डों में 39 नौसेना जहाजों और पनडुब्बियों का निर्माण किया जा रहा है। बदले में इसने न केवल स्वदेशी जहाज निर्माण उद्योग बल्कि संबद्ध सहायक उद्योगों के लिए भी अपार अवसर पैदा किए हैं।