भारतीय नौसेना अगले हफ्ते अपने बेड़े में एक गाइडेड मिसाइल विद्धवंसक पोत (डिस्ट्रॉयर) और एक कलवरी श्रेणी की पण्डुब्बी वेला को शामिल करेगी। यह पण्डुब्बी कलवरी श्रेणी की होगी। हिंद महासागर के क्षेत्र में चीन की बढ़ती पकड़ और बदलते सुरक्षा वातावरण को देखते हुए यह कदम भारतीय नौसेना के लिए काफी महत्वपूर्ण बताया जा रहा है। इन मिसाइल विद्धवंसक और पण्डुब्बी के शामिल होना नौसेना को इस क्षेत्र में काफी बढ़त देगा।
मिसाइल विद्धवंसक और पण्डुब्बी वेला दोनों को ही नौसेना के बेड़े में शामिल करने का कार्य मुंबई के नौसेना डॉकयार्ड में होगा। दोनों का ही निर्माण मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड में हुआ है। कलवरी श्रेणी की पण्डुब्बी वेला अपनी श्रेणी की चौथी पण्डुब्बी है।
भारतीय नौसेना के वाइस चीफ ऑफ नेवल स्टाफ वाइस एडमिरल सतीश नामदेव घोड़मारे ने बताया कि गाइडेड मिसाइल विद्धवंसक विशाखापत्तनम 21 नवंबर 2021 को नौसेना के बेड़े में शामिल हो जाएगा। वहीं कलवरी श्रेणी की पण्डुब्बी वेला 25 नवंबर को नौसेना में शामिल की जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि भारत के विभिन्न शिपयार्डों पर वर्तमान में करीब 39 नौसैनिक पोत और पण्डुब्बियों का निर्माण कार्य जारी है। इनके शामिल होने के बाद भारतीय नौसेना को बड़ी बढ़त मिलने की उम्मीद है।
वाइस एडमिरल सतीश नामदेव घोड़मारे ने आगे कहा- हम सभी जानते हैं समुद्र की परिस्थितियां काफी जटिल है और इसके लिए ज्यादा से ज्यादा संख्या में अत्याधुनिक पोत और पण्डुब्बियों आदि की जरूरत होती है। हम ऐसे समय में हैं जब पूरी दुनिया और क्षेत्र में शक्ति संतुलन में काफी तेजी से बदलाव आ रहा है। निस्संदेह इस बदलाव का सबसे मुख्य केंद्र हिंद महासागर है। इन चुनौतियों से का सामना करने के लिए भारतीय नौसेना की ताकत को बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास जारी हैं।
वाइस एडमिरल ने बताया कि विद्धवंसक पोत विशाखापत्तनम के बेड़े में शामिल होते ही भारत दुनिया के उन कुछ चुनिंद देशों की श्रेणी में शामिल हो जाएगा जिनके पास अत्याधुनिक पोत बनाने का कौशल है। विद्धवंसक को विदेशी तकनीक के अलावा बड़े स्तर पर स्वदेशी हथियारों से लैस किया गया है। इनमें एल एंड टी द्वारा निर्मित टॉरपीडो, ब्रह्मोस एयरोस्पेस द्वारा सतह पर मार करने वाली मिसाइल और भारत इलेक्ट्रॉनिक द्वारा निर्मित मध्यम दूरी जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल सिस्टम शामिल है। उन्होंने बताया कि इस पूरे प्रोजेक्ट में करीब 75 फीसदी स्वदेशी वस्तुओं का इस्तेमाल किया गया है। पण्डुब्बी निर्माण एक बहुत जटिल कार्य है जिसमें बहुत सावधानी बरतते हुए कार्य किया जाता है। बहुत कम ही देशों ने इस कौशल को प्राप्त किया है, जबकि भारत ने 25 सालों में इस क्षेत्र में खुद को साबित किया है।
विद्धवंसक विशाखापत्तनम को बेड़े में शामिल करने के समय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह भी मुख्य अतिथि के रुप में मौजूद रहेंगे। वहीं कलवरी श्रेणी की पण्डुब्बी वेला को बेड़े में शामिल करने के समय नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह मुख्य अतिथि होंगे।