सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस जासूसी मामले की जांच के लिए एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया है। सुप्रीम कोर्ट ने विशेषज्ञ पैनल का गठन करते हुए कहा बुधवार को कहा कि लोगों की अंधाधुंध जासूसी की अनुमति नहीं दी जा सकती है, इसकी जांच जरूरी है।
इसराइल में बने पेगासस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर भारत में कई लोगों की जासूसी किए जाने के मामले में जांच की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने ये कमेटी बनाई है।
याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से मामले में अदालत की देखरेख में एक स्वतंत्र जांच की मांग की थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट की चीफ जस्टिल एनवी रमन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने कई दौर की सुनवाई के बाद 13 सितंबर को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था, जिस पर आज फैसला आया है।
पेगासस मामले पर जांच की मांग को लेकर वकील एमएल शर्मा, राज्यसभा सांसद जॉन ब्रिटास, पत्रकार एन राम और शशि कुमार, जगदीप चोककर, नरेंद्र मिश्रा, पत्रकार रूपेश कुमार सिंह, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की ओर से याचिका दी गई थी। इन याचिकाओं पर 5 अगस्त को अदालत ने पहली सुनवाई की थी, कई दौर तक चली और आज इस पर कोर्ट का आदेश आया।
कई बड़े मीडिया ग्रुप ने एक रिपोर्ट जारी की है। इसमें दावा किया गया है कि इजराइली कंपनी के जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस को फोन में भेजकर कई देशों में हजारों लोगों की जासूसी हुई। इसमें भारत का भी नाम है। भारत में दो मंत्रियों, कई विपक्ष के नेताओं, पत्रकारों, जज, कारोबारी और एक्टिविस्ट के नाम सामने आए हैं, जिनकी जासूसी होना का दावा किया गया है।