पीएम नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार शाम को एससीओ से जुड़े सीएसटीओ की विशेष बैठक को संबोधित किया। इसमें उन्होंने अफगानिस्तान में हाल के घटनाक्रम को लेकर भारत का पक्ष रखा और कहा कि इसका सबसे ज्यादा असर भारत जैसे पड़ोसी देशों पर होगा।
पीएम ने कहा कि अफगानिस्तान में हाल के घटनाक्रम को देखते हुए क्षेत्रीय फोकस और क्षेत्रीय सहयोग बहुत आवश्यक है। इस संदर्भ में हमें चार विषयों पर ध्यान देना होगा। पहला मुद्दा है कि अफगानिस्तान में सत्ता परिवर्तन सर्व समावेशी नहीं है और यह बिना नेगोशिएशन के हुआ है। इससे नई व्यवस्था की स्वीकार्यता पर सवाल उठते हैं। महिलाओं, अल्पसंख्यकों सहित अफगान समाज के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व महत्वपूर्ण है।
पीएम मोदी ने कहा कि अफगानिस्तान के मामले में यह जरूरी है कि वैश्विक समुदाय सामूहिक रूप से और उचित विचार-विमर्श के साथ नई सरकार की मान्यता पर निर्णय ले। इस मामले में भारत संयुक्त राष्ट्र का समर्थन करता है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि अफगानिस्तान में अस्थिरता और कट्टरता बनी रही तो इससे पूरे विश्व में आतंकवादी और चरमपंथी विचारधाराओं को बढ़ावा मिलेगा। अन्य उग्रवादी समूहों को हिंसा के माध्यम से सत्ता पाने का प्रोत्साहन भी मिल सकता है।
पीएम मोदी ने आगे कहा कि अफगानिस्तान में ड्रग्स, अवैध हथियारों और मानव तस्करी का प्रवाह बढ़ सकता है। बड़ी मात्रा में अत्याधुनिक हथियार अफगानिस्तान में रह गए हैं। इनके कारण पूरे क्षेत्र में अस्थिरता का खतरा बना रहेगा। उन्होंने भयंकर मानवीय संकट को सबसे बड़ा मसला बताया है। उन्होंने कहा है कि वित्तीय और व्यापार प्रवाह में रूकावट के कारण अफगान जनता की आर्थिक हालात खराब होती जा रही है। इसके साथ ही कोविड की चुनौती भी बनी हुई है।