दिल्ली सरकार अगले छह महीने में सात नए अस्पताल बनाएगी। इनमें 6836 आईसीयू बिस्तरों की व्यवस्था होगी। इसके बाद राजधानी में आईसीयू बेड की क्षमता बढ़कर 17 हजार पार पहुंच जाएगी। सरिता विहार, शालीमार बाग, सुल्तानपुरी, किराड़ी, रघुबीर नगर, जीटीबी अस्पताल और चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय में यह अस्पताल बनाए जाएंगे।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बताया कि दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में लगभग 10 हजार आईसीयू बेड हैं। 6800 नए बिस्तर बढ़ाए जाने के बाद बेड की क्षमता में लगभग 70 फीसदी का इजाफा होगा। अगर कोरोना की लहर आती है तो उस समय लोगों को इलाज में मदद मिलेगी। साथ ही सरकारी अस्पतालों के स्वास्थ्य ढांचे में बड़ा इजाफा होगा।
स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल ने इस परियोजना को मंजूरी दी है। अस्पतालों का निर्माण पीडब्ल्यूडी द्वारा किया जाएगा। शालीमार बाग में 7.95 एकड़ में अस्पताल बनेगा। यहां 1430 आईसीयू बेड होंगे। किराड़ी में 2.71 एकड़ में 458 आईसीयू बेड का अस्पताल बनेगा। जीटीबी अस्पताल परिसर में 6.02 एकड़ में 1912 आईसीयू बेड का अस्पताल बनाया जाएगा।
रघुवीर नगर में 9 एकड़ में 1565 आईसीयू बेड का अस्पताल बनेगा। चाचा नेहरू में 2.32 एकड़ में 610 आईसीयू बेड का अस्पताल बनेगा। सुल्तानपुरी में 10 हजार वर्ग मीटर में 525 आईसीयू बेड का अस्पताल बनेगा। इन अस्पतालों में इमरजेंसी, ओपीडी, वार्ड सहित सभी सुविधाएं होंगी। पीएसए और ऑक्सीजन टैंक का भी इंतजाम किया जाएगा।
अस्पतालों में लंबी कतारों से जल्द मिलेगी मुक्ति
दिल्ली के लोगों को सरकारी अस्पतालों में लंबी-लंबी लाइनों में लगाने से जल्द ही मुक्ति मिलने जा रही है। दिल्ली कैबिनेट ने स्वास्थ्य सूचना प्रबंधन प्रणाली (एचआईएमएस) योजना को धरातल पर उतारने के लिए 139.80 करोड़ रुपए के बजट को मंजूरी दे दी है। इस प्रणाली के चालू होने के बाद लोगों को अस्पताल में खाली बेड, दवा, स्टाफ और वेंटिलेटर आदि की जानकारी सिर्फ एक क्लिक करने में मिल जाएगी। लोग फोन पर ही डॉक्टर से मिलने का समय ले सकेंगे और उन्हें अस्पताल में लंबी-लंबी लाइनों में लगने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बताया कि सरकार एचआईएमएस को लागू करने के लिए युद्धस्तर पर काम कर रही है। इस कार्य को पूरा करने के लिए सरकार ने टेंडर दे दिया है और इसके लिए बजट भी मंजूर कर दिया गया है। केजरीवाल ने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि लोगों को अपना ई-हेल्थ कार्ड बनवाने के लिए चक्कर न लगाने पड़े। यह कार्ड अस्पतालों और अन्य समर्पित केंद्रों पर भी बनाए जाएंगे। डोर-टू-डोर अभियान के माध्यम से यह वितरित किए जाएंगे। ई-हेल्थ कार्ड में कार्डधारक का संपूर्ण चिकित्सा इतिहास होगा और वे एचआईएमएस सिस्टम पर किसी भी अस्पताल में इलाज करा सकेंगे। कार्ड होने पर किसी को मेडिकल रिपोर्ट और दस्तावेज ले जाने की आवश्यकता नहीं होगी।
पूरा सिस्टम डिजिटल और क्लाउड आधारित होगा
मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली सरकार जल्द से जल्द सभी सरकारी अस्पतालों में एचआईएमएस को लागू करने की कोशिश कर रही है। बाद में निजी अस्पतालों को भी चरणबद्ध तरीके से इससे जोड़ा जाएगा। अस्पताल प्रशासन, बजट और योजना, आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन, बैक एंड सेवा और प्रक्रियाओं जैसी सभी रोगी देखभाल संबंधी सेवाओं को इस प्रणाली के तहत लाया जाएगा।
स्वास्थ्य कार्ड परियोजना के लिए कई प्रावधान प्रस्तावित
सरकार के मुताबिक, हेल्थ कार्ड योजना के तहत दिल्ली के निवासियों को वोटर आईडी और जनसंख्या रजिस्ट्री के आधार पर क्यूआर कोड आधारित ई-हेल्थ कार्ड जारी किए जाएंगे, जिससे प्रत्येक मरीज की जनसांख्यिकीय और बुनियादी नैदानिक जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
केंद्रीकृत स्वास्थ्य हेल्पलाइन के लिए बनेंगे कॉल सेंटर
एचआईएमएस परियोजना को लागू करने के लिए दो स्तरों पर एक केंद्रीकृत कॉल सेंटर स्थापित किया जाएगा। पहले स्तर पर कॉल सेंटर संचालकों को लोगों के कॉल और मैसेज प्राप्त होंगे। सीआरएम में लॉग इन करने के बाद, वे मामले का आकलन करेंगे और इसे सुलझाएंगे और उपलब्ध स्वास्थ्य देखभाल कर्मचारियों को सूचित करेंगे। ऑपरेटर कॉलर को प्रासंगिक जानकारी देगा और अंत में एक रिपोर्ट तैयार की जाएगी। वहीं दूसरे स्तर पर दिल्ली सरकार के डॉक्टर और विशेषज्ञ कॉल और संदेश लेंगे और मरीजों को परामर्श देंगे। अगर इमरजेंसी का मामला है, तो हेल्पलाइन उनकी कॉल को तुरंत स्वीकार करेगी और समस्या को हल करने के लिए उनसे बात करेगी।
स्वामी दयानंद अस्पताल में डायलिसिस सुविधा जल्द
पूर्वी दिल्ली नगर निगम द्वारा संचालित दिलशाद गार्डन में स्थित स्वामी दयानंद अस्पताल में जल्द ही डायलिसिस की सेवा शुरू होगी। अस्पताल में डायलिसिस मशीन लगाने की प्रक्रिया जल्द शुरू होगी। स्वामी दयानंद अस्पताल पूर्वी निगम का एकमात्र सबसे बड़ा अस्पताल है। यहां पूर्वी दिल्ली के अलावा पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के लोनी, गाजियाबाद और नोएडा के लोग भी इलाज कराने आते हैं।
स्वामी दयानंद अस्पताल के साथ वाले गुरु तेग बहादुर अस्पताल को कोरोना अस्पताल घोषित किया गया है। इन दिनों अधिकतर मरीज इसी अस्पताल में इलाज के लिए आते हैं। पूर्वी निगम क्षेत्र का दिलशाद गार्डेन इलाका गरीब क्षेत्र में आता है। डायलिसिस का इलाज निजी अस्पतालों में बेहद मंहगा है, जिसे वहन कर पाना यहां की जनता के लिए आसान नहीं है। स्थानीय लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए पूर्वी निगम की स्थायी समिति ने 12 अगस्त को स्वामी दयानंद अस्पताल में डायलिसिस मशीन लगाने का प्रस्ताव पास किया था। सदन की बैठक में महापौर श्याम सुंदर अग्रवाल और निगम आयुक्त विकास आनंद ने स्थायी समिति के इस महत्वपूर्ण प्रस्ताव पर मुहर लगा दिया है।
बाहर से मंगाई जाएगी डायलिसिस मशीन
स्वामी दयानंद अस्पताल की चिकित्सा अधीक्षक डॉ. रजनी ने बताया कि यहां डायलिसिस मशीन बाहर से लाकर लगाई जाएगी। अभी अस्पताल में ओपीडी के अलावा कोरोना की तीसरी लहर की तैयारियों को ध्यान में रकथे हुए 20 आईसीयू बेड, 70 कोरोना बेड की व्यवस्था है। अस्पताल के पास अपना 6000 लीटर का तरल ऑक्सीजन टैंक उपलब्ध है।
अस्पताल स्टाफ बढ़ाने की प्रक्रिया तेज
डॉ. रजनी ने बताया कि अस्पताल में जूनियर, सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर सहित नर्सों की संख्या बढ़ाई गई है। अब यहां पर पर्याप्त संख्या में 200 नर्स हैं। जूनियर डॉक्टरों की संख्या भी पर्याप्त है, वरिष्ठ डॉक्टरों की संख्या बढ़ाने की तैयारी है। अस्पताल के कई वार्डों में मरम्मत का काम किया गया है। कोरोना की तीसरी लहर को लेकर अस्पताल प्रशासन बेहद सतर्क है। इन दिनों स्वामी दयानंद अस्पताल में कोविड के अलावा गर्भवती महिलाओं और बच्चों का इलाज किया जा रहा है। यहां अभी दो सीनियर रेजिडेंट डॉक्टरों की जरूरत है।