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Thursday, June 26, 2025

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गंगा जल से तैयार की गई कोविड 19 वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल की अनुमति देने की याचिका पर नोटिस जारी किया

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गंगा जल से तैयार की गई कोविड 19 वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल की अनुमति देने की मांग में दाखिल याचिका पर इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च एवं भारत सरकार की इथिक्स कमेटी को नोटिस जारी किया है और भारत सरकार सहित सभी विपक्षियों से तीन हफ्ते में जवाब मांगा है।

यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एम एन भंडारी और न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमार की खंडपीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता अरूण कुमार गुप्ता की जनहित याचिका पर दिया है। गुप्ता का कहना है कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी के न्यूरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. विजय नाथ मिश्र के नेतृत्व में डाक्टर की टीम ने गंगा जल पर रिसर्च कर नोजल स्प्रे वैक्सीन तैयार की है, जो मात्र 30 रुपये में लोगों को कोरोना से राहत दे सकती है।

इसकी रिपोर्ट तैयार कर इथिक्स कमेटी को भेजी गई है और क्लिनिकल ट्रायल की अनुमति मांगी गई है, लेकिन कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है। बीएचयू के डॉक्टर का दावा है कि वायरो फेज थेरेपी से कोरोना का खात्मा किया जा सकता है।

अभी तक जितनी भी वैक्सीन है वो वायरस को डीऐक्टीवेट करती है, जबकि गंगा जल से प्रस्तावित वैक्सीन कोरोना को खत्म कर देगी। बीएचयू डाक्टरों की टीम ने आईसीएमआर व आयुष मंत्रालय को क्लिनिकल ट्रायल की अनुमति के लिए शोध प्रस्ताव भेजा है। इनके द्वारा कोई रूचि नहीं ली जा रही है।

याचिका में मांग की गई है कि आयुष मंत्रालय व आईसीएमआर को डॉ. वीएन मिश्र की टीम को क्लिनिकल ट्रायल की अनुमति देने का समादेश जारी किया जाए और पुणे के वायरोलाजी लैब में गंगा जल से तैयार वैक्सीन का टेस्ट कराया जाए।

शोध प्रस्ताव राष्ट्रपति को भी भेजा गया है जिसमें दावा किया गया है कि गंगा जल का क्लिनिकल ट्रायल कर कोरोना को जड़ से खत्म करने की वैक्सीन तैयार की जा सकती है। याची का कहना है कि 1896 में ब्रिटिश बैक्टीरियोलॉजिस्ट अनेस्ट हॉकिंस ने गंगा जल पर शोध किया था। 
उनकी रिपोर्ट ब्रिटिश मेडिकल जनरल में छपी थी। गंगोत्री के जल में सेल्फ प्यूरीफाइंग क्वॉलिटी पाई गई थी। अन्य कई देशों की मैग्जीन में भी शोध पत्र छपे हैं। याची अरूण कुमार गुप्ता ने 28 अप्रैल 2020 को सभी शोधपत्र नेशनल क्लीन गंगा मिशन को भेजा है और महानिदेशक आईसीएमआर को भी देकर क्लिनिकल ट्रायल की अनुमति देने की मांग की है। याची गंगा प्रदूषण मामले में कायम जनहित याचिका में न्यायमित्र हैं। वह गंगा जल की बेहतरी के लिए लगे हुए हैं।

ऐसी ही रिपोर्ट भरत झुनझुनवाला ने भी भेजी थी, लेकिन आईसीएमआर ने मनमाने रवैये के आधार पर सारी रिसर्च को नकार दिया। राष्ट्रपति के सचिव ने रिपोर्ट आयुष मंत्रालय को भेजी थी, लेकिन साइंटिफिक अध्ययन के अभाव के कारण इसपर विचार ही नहीं किया गया।

साइंटिफिक अध्ययन आयुष मंत्रालय व आईसीएमआर की अनुमति के बगैर संभव नहीं है। जबकि बीएचयू के डॉक्टर की टीम ने जो नोजल स्प्रे वैक्सीन तैयार की उसके लगभग 300 लोगों पर प्रयोग के सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं।

एक लेख हिंदी इंटरनेशनल जर्नल आफ माइक्रोबायोलॉजी में 19 मार्च 2020 को प्रकाशित भी हुआ है। इसपर यह याचिका दाखिल की गई है और गंगा जल पर शोध से तैयार वैक्सीन का क्लिनिकल ट्रायल कराने की मांग की गई है।

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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