दिग्गज सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक और उसके स्वामित्व वाली व्हाट्सएप ने सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय से आग्रह किया कि वह भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (सीसीआई) के नोटिस पर रोक लगाए। इसमें उनसे एप की नई निजता नीति की जांच के सिलसिले में कुछ सूचनाएं देने के लिए कहा गया है।
न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंबानी और जसमीत सिंह की अवकाश पीठ ने कहा कि वह आवेदन पर आदेश जारी करेगी। पीठ ने कहा कि चूंकि यह अवकाशकालीन पीठ है, इसलिए यह मामले के गुण-दोष में नहीं पड़ना चाहती है, जबकि प्रमुख याचिकाएं मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष लंबित हैं।
पीठ ने कहा, ‘हम आदेश पारित करेंगे। मामला नौ जुलाई के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा।’
वहीं, व्हाट्सएप का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने पीठ से कहा कि समस्या यह है कि चार जून को नया नोटिस जारी हुआ और उस पर जवाब देने की अंतिम तारीख आज यानी 21 जून है। इस नीति को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी जा चुकी है और उच्च न्यायालय में कई याचिकाएं दायर हैं।
हरीश साल्वे ने कहा कि केंद्र सरकार भी इस नई निजता नीति पर गौर कर रही है। दूसरी ओर, फेसबुक की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने पीठ से अपना पक्ष रखते हुए कहा कि मामला यहां पर अधिकार क्षेत्र का है और यह सही नहीं है क्योंकि उच्चतम न्यायालय इस मामले पर गौर कर रहा है।
सुनवाई में सीसीआई की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल अमन लेखी ने याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा कि जांच के चरण में सूचनाएं दिए जाने का यह अर्थ नहीं है कि सीसीआई आदेश दे रहा है। नोटिस जांच को लेकर जारी हुआ है, जिस पर रोक नहीं है। उन्हें यह पहला नोटिस जारी नहीं हुआ है।
अदालत ने जब पूछा कि सीसीआई द्वारा नोटिस जारी करने की जल्दबाजी क्या थी तो लेखी ने कहा कि सवाल जल्दबाजी का नहीं है बल्कि यह मामला खुद लंबी प्रक्रिया वाला है। उन्होंने कहा कि जब तक सीसीआई के महानिदेशक की तरफ से रिपोर्ट नहीं सौंपी जाती तब तक उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं होगी।