पंजाब कांग्रेस में सब कुछ सही होने के आसार नजर नहीं आ रहे। हाईकमान की हर तरह की कोशिश के बावजूद नवजोत सिद्धू अमरिंदर सिंह की प्रधानी को मानने को तैयार नहीं हैं। सोमवार को सिद्धू फिर फॉर्म में नजर आए। उन्होंने हमेशा की तरह कैप्टन अमरिंदर सिंह पर निशाना साधते हुए कहा कि मैं शोपीस नहीं हूं जो केवल चुनाव में इस्तेमाल किया जाए। वे कैप्टन-बादल के बीच सांठगांठ के अपने आरोपों पर भी कायम दिखे। इसके अलावा उन्होंने फिलहाल में दो विधायकों के बेटों को सरकारी नौकरी देने के फैसले का भी विरोध किया।
इससे पहले पंजाब कांग्रेस का विवाद सुलझाने के लिए विधायक नवजोत सिंह सिद्धू को उपमुख्यमंत्री का पद देने की अटकलों पर विराम लग गया था। सूत्रों के अनुसार, नवजोत सिद्धू पहले पार्टी हाईकमान और फिर तीन सदस्यीय कमेटी को साफ कर आए हैं कि कैप्टन अमरिंदर सिंह के अधीन किसी भी पद पर काम करना असंभव है।
सूत्रों से पता चला है कि सिद्धू जब तीन सदस्यीय कमेटी के सामने पेश हुए तो उन्होंने मुख्यमंत्री कैप्टन का कच्चा-चिट्ठा ही नहीं खोला, बल्कि पंजाब में अफसरशाही द्वारा सरकार चलाए जाने के भी अनेक उदाहरण पेश करते हुए कई अफसरों तक के नाम गिना डाले, जो सीधे तौर पर सरकार चला रहे हैं। उन्होंने कमेटी को यह भी बताया था कि पंजाब में कांग्रेस विधायकों, नेताओं और कार्यकर्ताओं की सरकार में कोई सुनवाई नहीं है। राज्य में इस समय भी बादल परिवार का ही राज चल रहा है और उनकी सुविधा के अनुसार ही कैप्टन सरकार फैसले ले रही है।
नवजोत सिद्धू द्वारा हाईकमान और कमेटी के सामने किए खुलासों से यह भी साफ हो गया है कि राज्य में कांग्रेस में मचा घमासान आसानी से खत्म होने वाला नहीं है। हाईकमान सिद्धू को प्रदेश कांग्रेस में बड़ा ओहदा देकर विवाद खत्म करने पर भी विचार कर रहा है लेकिन यह भी स्पष्ट है कि सिद्धू अगर प्रदेश में पार्टी संभालेंगे तो वे कैप्टन की नहीं सुनेंगे।