रूपा पब्लिकेशन हाउस की ओर से पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के संस्मरणों वाली नई किताब द प्रेजिडेंशियल इयर्स’ को छापे जाने की घोषणा के बाद दिवंगत नेता के बच्चों में मतभेद उभर आए हैं। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बेटे अभिजीत मुखर्जी ने मंगलवार को पब्लिकेशन हाउस से किताब का प्रकाशन रोकने को कहा। उन्होंने कहा कि वह एक सामग्री को देखना और अप्रूव करना चाहते हैं। इस बीच उनकी बहन और कांग्रेस पार्टी की प्रवक्ता शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा कि उनके पिता किताब को अप्रूव कर चुके थे। साथ ही उन्होंने अभिजीत को सस्ती लोकप्रियता से बचने की नसीहत दी है।
उन्होंने कहा कि जारी किए गए अंश ‘मोटिवेटिड’ थे और पूर्व राष्ट्रपति ने इनके लिए मंजूरी नहीं दी होगी। उन्होंने पब्लिकेशन ग्रुप रूपा बुक्स से इस किताब के प्रकाशन को रोकने के लिए कहा है। अभिजीत मुखर्जी ने आज अपने ट्वीट में प्रकाशक कपीश मेहरा को संबोधित करते हुए कहा कि चूंकि मेरे पिता अब नहीं रहे, इसलिए मैं उनके बेटे के रूप में पुस्तक की अंतिम प्रति की सामग्री से गुजरना चाहता हूं। मेरे पिता अगर जिंदा होते तो वह भी ऐसा ही करते।
उन्होंने आगे ट्वीट करते हुए लिखा, “आपसे अनुरोध है कि जब तक मैं इसकी सामग्री को मंजूरी न दूं और लिखित में अपनी सहमति न दूं तब तक आप इसका प्रकाशन रोक दीजिए। मैंने पहले ही आपको इस संबंध में एक विस्तृत पत्र भेज दिया है जो जल्द ही आप तक पहुंच जाएगा।”
प्रणब मुखर्जी ने स्वयं दी थी मंजूरी
हिंदुस्तान टाइम्स ने प्रकाशकों से बात करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने अभी के लिए किसी भी प्रकार की टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है। हालांकि, नाम न छापने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने न केवल पांडुलिपि के अंतिम मसौदे को मंजूरी दी थी, बल्कि अस्पताल में भर्ती होने से एक दिन पहले कवर को भी मंजूरी दी थी।
सम्बंधित अधिकारी ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति ने 2013 में उनके साथ पहला एग्रीमेंट किया था और 2018 में अपनी नई किताब के कॉन्ट्रैक्ट पर हस्ताक्षर किए गए थे। लेकिन तब अभिजीत मुखर्जी कहीं नहीं थे।
प्रकाशक रूपा ने किए थे किताब के कुछ अंश जारी
बता दें, प्रकाशक रूपा बुक्स ने शुक्रवार को ‘द प्रेजिडेंशियल इयर्स’ के कुछ अंश जारी किए थे जिसमें उन्होंने 2014 के आम चुनावों में कांग्रेस पार्टी की आपसी कलह और पतन के लिए अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को जिम्मेदार ठहराया था। पुस्तक में यह भी कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता में अपने पहले कार्यकाल के दौरान शासन की एक निरंकुश शैली को नियोजित किया था।
पूर्व राष्ट्रपति के साथ काम करने वाले एक अन्य अधिकारी ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया कि राष्ट्रपति मुखर्जी ने किताब की नई वॉल्यूम के प्रकाशन को मंजूरी दे दी थी। हालांकि उनकी बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी से भी बात करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। गौरतलब है कि कांग्रेस पार्टी ने अब तक किताब के विवरण या उसके खुलासे पर कोई जवाब नहीं दिया है।
अपने भाई के ट्वीट का जवाब देते हुए कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा, ”मैं संस्मरण के लेखक की पुत्री के तौर पर अपने भाई अभिजीत मुखर्जी से आग्रह करती हूं कि वह पिता द्वारा लिखी गई अंतिम पुस्तक के प्रकाशन में अनावश्यक अवरोध पैदा नहीं करें। वह (मुखर्जी) बीमार होने से पहले ही इसे पूरा लिख चुके थे।”
उन्होंने यह भी कहा, ”पुस्तक के साथ मेरे पिता के हाथों से लिखा हुआ नोट और टिप्पणियां हैं जिनका पूरी सख्ती से अनुसरण किया गया है। उनके द्वारा व्यक्त किए गए विचार उनके अपने हैं और किसी को सस्ते प्रचार के लिए इसे प्रकाशित कराने से रोकने का प्रयास नहीं करना चाहिए। यह हमारे दिवंगत पिता के लिए सबसे बड़ा अन्याय होगा।”
दरअसल, प्रकाशन की ओर से मीडिया में जारी पुस्तक के अंशों के मुताबिक, इसमें मुखर्जी ने राष्ट्रपति के तौर अपने अनुभवों और कांग्रेस के नेतृत्व में संदर्भ कई बातों का उल्लेख किया है। सार्वजनिक हुए अंशों के अनुसार, इसमें मुखर्जी ने लिखा है कि उनके राष्ट्रपति बनने के बाद कांग्रेस राजनीतिक दिशा से भटक गई और कुछ पार्टी सदस्यों का यह मानना था कि अगर 2004 में वह प्रधानमंत्री बनते तो 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए करारी हार वाली नौबत नहीं आती।
मुखर्जी अपने निधन से पहले संस्मरण ‘द प्रेसिडेंशियल ईयर्स’ को लिख चुके थे। रूपा प्रकाशन द्वारा प्रकाशित यह पुस्तक जनवरी, 2021 से पाठकों के लिए उपलब्ध होने वाली थी मुखर्जी का कोरोना वायरस संक्रमण के बाद हुई स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं के करण गत 31 जुलाई को 84 वर्ष की उम्र में निधन हो गया था।