अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन शिखर सम्मेलन के लिए जिनेवा में लेकसाइड विला पहुंच गए हैं। यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब दोनों देशों के रिश्ते सबसे बुरे दौर में हैं।
खास बात यह है कि दोनों ही नेताओं ने कैमरे के सामने हाथ मिलाए। इस दौरान स्विट्जरलैंड के राष्ट्रपति गाई पारमेलिन भी मौजूद थे। बहरहाल, अब दोनों ही राष्ट्राध्यक्ष अपने ‘मतभेदों’ को मिटाने के लिए बैठक में चर्चा कर रहे हैं।
पारमेलिन ने दोनों नेताओं का अपने देश में स्वागत किया था और इसके बाद वे महल में गए। बताया जा रहा है कि यह वार्ता चार से पांच घंटे तक चल सकती है। बता दें कि संवाददाताओं के सामने फोटो खिंचाते समय दोनों एक-दूसरे से नजरें चुराते रहे।
इससे पहले पुतिन ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि वार्ता ‘सकारात्मक’ होगी। वहीं बाइडन ने उनसे कहा कि आमने-सामने मुलाकात हमेशा अच्छी होती है। जब एक संवाददाता ने पूछा कि क्या पुतिन पर विश्वास किया जा सकता है तो उन्होंने हां में सिर हिलाया।
दोनों नेताओं के साथ बैठक के दौरान शीर्ष राजनयिक और अनुवादक भी रहेंगे। बुधवार को कई घंटे तक चलने वाली दो दौर की बैठक में अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहेंगे। बाइडन एक दशक में पहली बार रूस के राष्ट्रपति से मुलाकात करने जा रहे हैं। पिछली बार वह मार्च 2011 में पुतिन से तब मिले थे जब रूस के प्रधानमंत्री थे और बाइडन उपराष्ट्रपति। तब उन्होंने पुतिन को ‘हत्यारा’ और ‘विरोधी’ करार दिया था। उनके बीच व्यापार एवं हथियार नियंत्रण जैसे मुद्दों पर चर्चा हो सकती है।
बाइडन ने कहा कि उन्हें पुतिन के साथ ‘सहयोग’ वाले क्षेत्रों को तलाशने की उम्मीद है लेकिन वह साइबर अपराध, अमेरिकी चुनावों में रूस का हस्तक्षेप जैसे मुद्दों पर उनसे जिरह करेंगे। शिखर सम्मेलन में सामरिक स्थिरता, साइबर सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन, कोरोना वायरस महामारी और आर्कटिक जैसे विषय होंगे। पुतिन और बाइडन यूक्रेन, सीरिया और लीबिया जैसे क्षेत्रीय संकटों पर भी चर्चा कर सकते हैं। साथ ही वे ईरान के परमाणु कार्यक्रम और अफगानिस्तान पर भी विचार-विमर्श करेंगे।
बातचीत शुरू करने की जरूरत : यूशाकोव
पुतिन के विदेश मामलों के सलाहकार यूरी यूशाकोव ने कहा कि मॉस्को एवं वॉशिंगटन में तनाव के बीच यह बैठक महत्वपूर्ण है लेकिन उम्मीदें ज्यादा नहीं हैं। यूशाकोव ने इस हफ्ते संवाददाताओं से कहा था कि द्विपक्षीय संबंध जब बहुत बुरे दौर में हैं तब इस तरह की पहली बैठक हो रही है। दोनों पक्ष महसूस करते हैं कि लंबित मुद्दों पर बातचीत शुरू करने की जरूरत है।
यह बैठक ऐसे समय पर हो रही है, जब दोनों देशों के नेताओं का मानना है कि अमेरिका और रूस के संबंध पहले कभी इतने खराब नहीं रहे। पिछले चार महीनों से दोनों नेताओं ने एक दूसरे के खिलाफ तीखी बयानबाजी की है। बाइडन ने अमेरिकी हितों पर रूस समर्थित हैकरों के साइबर हमलों को लेकर पुतिन की कई बार आलोचना की है, जबकि पुतिन का कहना है कि उनके देश ने न तो अमेरिकी चुनाव में हस्तक्षेप किया और न ही किसी प्रकार के साइबर हमले किए।
रूस-अमेरिका संबंधों में स्थिति काफी कठिन
दोनों पक्षों को इस बैठक से कोई खास उम्मीद नहीं है। बाइडन का कहना है कि यदि दोनों देश अपने संबंधों में अंतत: स्थिरता ला पाते हैं, तो यह बैठक एक महत्वपूर्ण कदम होगी। बाइडन ने कहा है कि अमेरिका और रूस अगर अपने संबंधों में ‘स्थिरता और गंभीरता’ लाते हैं तो यह महत्वपूर्ण कदम होगा। अमेरिका को अपना कट्टर विरोधी मानने वाले व्यक्ति के साथ वार्ता से पहले राष्ट्रपति की तरफ से यह उदार वक्तव्य है।
बाइडन ने इस हफ्ते की शुरुआत में संवाददाताओं से कहा था कि हमें निर्णय करना चाहिए कि क्या सहयोग करना हमारे हित में, दुनिया के हित में है और देखना चाहिए कि हम ऐसा कर सकते हैं अथवा नहीं। और जिन क्षेत्रों में सहमति नहीं बनती है वहां स्पष्ट कीजिए कि गतिरोध क्या है। पुतिन के प्रवक्ता दमित्री पेसकोव ने बुधवार को एसोसिएटेड प्रेस से कहा कि गतिरोध टूटने की उम्मीद नहीं है और रूस-अमेरिका संबंधों में स्थिति काफी कठिन है।
शिखर सम्मेलन से पहले पेसकोव ने कहा था कि बहरहाल, तथ्य यह है कि दोनों राष्ट्रपति बैठक करने पर सहमत हुए हैं और समस्याओं के बारे में खुलकर बातचीत की शुरुआत की है जो अपने आप में एक उपलब्धि है। प्रत्येक पक्ष के साथ एक-एक अनुवादक होगा। इसके बाद दोनों पक्षों के पांच-पांच वरिष्ठ सहयोगी बैठक में शामिल होंगे।
पुतिन पर भरोसा नहीं करते बाइडन: व्हाइट हाउस
उधर, व्हाइट हाउस ने कतहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन यह संकेत नहीं दे रहे थे कि वह पुतिन पर भरोसा करते हैं जब उन्होंने एक रिपोर्टर के सवाल में सिर हिलाकर जवाब दिया था। यह प्रतिक्रिया व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जेन साकी ने दी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति किसी सवाल का जवाब नहीं दे रहे थे क्योंकि वहां बहुत से लोग शोर कर रहे थे और किसी को साफ तौर पर सुनना संभव नहीं था।