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Monday, June 30, 2025

उत्तराखंड : वैक्सीन मैन के नाम से मशहूर चंद्रबल्लभ बेंजवाल का निधन

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में अगस्त्यमुनि ब्लॉक के बेंजी गांव निवासी और वैक्सीन मैन के नाम से मशहूर चंद्रबल्लभ बेंजवाल सेवानिवृत्त होने के बाद पैतृक गांव में ही जीवन गुजारना चाहते थे। पिछले साल लॉकडाउन के दौरान उन्होंने पैतृक मकान की मरम्मत भी करा ली थी। लेकिन, उनकी यह इच्छा पूरी नहीं हो पाई। उनके निधन से गांव में शोक की लहर है। 

बेंजी गांव के पुरुषोत्तम बेंजवाल के पांच बच्चों में चंद्रबल्लभ बेंजवाल कुशाग्र सबसे बड़े थे। उन्होंने स्वामी सच्चिदानंद राजकीय इंटर कॉलेज रुदप्रयाग से 1981 में हाईस्कूल व 1983 में इंटरमीडिएट की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की थी। इसके बाद पीजी कॉलेज गोपेश्वर में उन्होंने बीएससी की पढ़ाई की। इसके बाद वर्ष 1988 में कानपुर एचबीआईटी से बीटेक में गोल्ड मेडल प्राप्त किया।

आईआईटी मद्रास से आईआईटी की पढ़ाई के बाद उनकी नियुक्ति भारत इम्यूनोलॉजिकल एंड बायोलॉजिकल कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीआईबीसीओएल) में हुई। वे वर्तमान में सीनियर वाइस प्रेसीडेंट थे। उन्होंने ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके कार्यालय के आला अधिकारियों, परिवार कल्याण एवं स्वास्थ्य मंत्रालय, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय को आश्वस्त किया था कि बीआईबीसीओएल देश को सस्ती वैक्सीन दे सकता है। इस पर उन्होंने प्रजेंटेशन भी दिया। इसका परिणाम यह हुआ कि केंद्र सरकार ने बीआईबीसीओएल को कोरोना वैक्सीन बनाने की अनुमति दी थी। बेंजवाल स्वदेशी कोवाक्सिन  निर्माण प्रोजेक्ट के हेड भी थे। 18/19 अप्रैल को कोरोना संक्रमित होने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया था।

तब भी उन्होंने वैक्सीन प्रोजेक्ट से जुड़े हर पहलुओं का स्वयं निरीक्षण किया। यहां तक कि नाक में ऑक्सीजन नली लगी होने के बाद भी वैक्सीन मैन अपने आखिरी दिनों तक प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी लेते हुए जरूरी फाइलों की स्वयं जांच रहे थे। उनके छोटे भाई ललित बेंजवाल ने बताया कि पांच भाई-बहनों में वे सबसे बड़े थे। अपने कार्य के प्रति उनका समर्पण देखते ही बनता था। वे कहते थे एक हल्की चूक लाखों जिंदगियों पर भारी पड़ सकती है। घर में बच्चों के साथ वे दोस्त की तरह रहते थे। ललित बेंजवाल बताते हैं कि उनके भाई ने जिस शिद्दत के साथ कार्य किया, उसके अनुसार उन्हें वह पहचान नहीं मिल पाई। 
गांव की माटी से था अटूट स्नेह 
गिरीश बेंजवाल, रमकांत बेंजवाल, जगदंगा बेंजवाल का कहना है कि वैक्सीन मैन चंद्र बल्लभ बेंजवाल को अपने गांव और माटी से बेहद प्रेम था। वह सेवानिवृत्त होने के बाद गांव में ही रहना चाहते थे। वे गांव व पहाड़ के लिए सपने बुन रहे थे। उनकी योजना थी कि बेंजी गांव में रिसॉर्ट बनाकर स्थानीय युवाओं को रोजगार मुहैया कराया जाए। वे पहाड़ और पहाड़ी संस्कृति को बढ़ावा देने के साथ शिक्षा की बेहतरी के लिए काम करना चाहते थे। उन्होंने बीते वर्ष गांव में रहते हुए रिजॉर्ट के लिए अपने पुराने खेतों को कटवाकर चौड़ा रास्ता भी बनवाया था।  

….वो पैसा कमा रहे, मैं दुआएं 
बीआईबीसीओएल में सीनियर वाइस प्रेसीडेंट के पद पर तैनात रहते हुए उनके मन में कभी-कभी एक टीस सी उभर जाती थी। वे कहते थे मेरे साथ के लड़के कॉरपोरेट में करोड़ों कमा रहे हैं। मैं सरकारी मुलाजिम ही रह गया, लेकिन कोई नहीं, वे पैसा कमा रहे हैं ओर मैं दुआएं। वे अपने हर काम को पूरी ईमानदारी व जिम्मेदारी के साथ करते थे।

पोलियो की खुराक बनाने में भी निभाई अहम भूमिका 
वैक्सीन मैन ने देश को पोलियो मुक्त करने में भी अहम भूमिका निभाई। उनके ही नेतृत्व में पोलियो की दवा का निर्माण हुआ था। साथ ही अन्य कई दवाएं भी उनकी देखरेख व मार्गदर्शन में बनी हैं जो प्राइवेट कंपनियों से बहुत सस्ती हैं।

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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