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Tuesday, December 24, 2024

भारतीय सैनिकों के अदम्य साहस की कहानी, 1971 के युद्ध में जख्मी मेजर ने खुद काट लिया था अपना पैर

Vijay Diwas 2020:

Major General Ian Cardozo, Vijay Diwas 2020 : भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में युद्ध की शुरुआत 25 मार्च की आधी रात को अचानक हुई थी, जिसके बाद पूर्वी पाकिस्तान में पाकिस्तानी सैनिकों ने हमला किया। 16 दिसंबर को यह युद्ध समाप्त हुआ, जब पाकिस्तान ने हार मान लिया और ढाका में बंगाली स्वतंत्रता सेनानियों एवं भारतीय सेना के समक्ष बिना शर्त के आत्मसमर्पण कर दिया|

यह दिन हर भारतीय के लिए गर्व महसूस कराने वाला है। इस दिन पाकिस्तान के साथ युद्ध में हमने विजय प्राप्त की थी। 16 दिसंबर सन 1971 के दिन भारत-पाक युद्ध के दौरान भारत ने पाकिस्तान पर विजय हासिल की थी और उसी जीत को पूरा हिन्दुस्तान ‘विजय दिवस’ के रूप में मनाता है।  

1971 War

 पाकिस्तान की सेना ने 1971 में एक जघन्य सैन्य अभियान चालाया था। इसके चलते नौ महीने तक चले बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के दौरान नरसंहार हुआ। इसमें 30 लाख निर्दोष लोगों की मौत हो गई और दो लाख से ज्यादा से महिलाओं का यौन उत्पीड़न किया।

Ian Cardozo

इंडियन आर्मी के इस जांबाज मेजर ने बांग्लादेश के सिलहट की लड़ाई में पाकिस्तानी सैनिकों के छक्के छुड़ा दिए थे। मेजर जनरल इयान कोर्डोजो (Major General Ian Cardozo) को 1971 की भारत-पाक लड़ाई में अदम्य साहस के लिए जाना जाता है। 5 गोरखा राइफल्स में मेजर इयान कोरडोजो 1971 की लड़ाई में बारुदी सुरंग फटने से घायल हो गए थे। इस पर उन्होंने डॉक्टरी मदद ना मिलने पर खुद ही अपनी टांग को खुकरी से काट दिया था, ताकि पूरे शरीर में इनफेक्शन ना फैल सके।मेजर इयान कोर्डोजो जिन्हें लोग मेरजर कारतूस के नाम से भी जानते हैं ने बताया था कि ‘सरेंडर करने के बाद भी बीएसएफ के एक प्लाटून कमांडर को शक था कि खतरा अभी बरकरार है। इसी दौरान बारूदी सुरंग में ब्लास्ट हुआ और मेरा एक पैर उड़ गया। मेरे साथी मुझे उठाकर पलटन में ले गए। मॉरफिन और कोई दर्द निवारक दवा नहीं मिली। मैंने अपने गुरखा साथी से बोला कि खुखरी लाकर पैर काट दो, लेकिन वो इसके लिए तैयार नहीं हुआ। फिर मैंने खुखरी मांगकर खुद अपना पैर काट लिया और उसके बाद मेरे एक साथ ने उस कटे हुए पैर को वहीं जमीन में गाड़ दिया।

मेजर कार्डोजो ने आगे बताया कि, ‘जब हमारी गोरखा रेजीमेंट हेलिकॉप्टर से बांग्लादेश पहुंची तो वहां भारी गोलाबारी चल रही थी। मोर्टार से गोले दागे जा रहे थे, भारत और पाकिस्तानी सेना में भीषण लड़ाई छिड़ी हुई थी। युद्ध में काफी जवान घायल हो रहे थे और मारे भी जा रहे थे। एमआई रूम पर गोलीबारी हुई और हमारे 8 जवान शहीद गए। हमें बताया गया कि 48 घंटे में बड़ी पलटन आ जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं नहीं हुआ और हमने 10 दिन तक लड़ाई लड़ी। हमारे पास खाने-पीने का सामान खत्म हो रहा था और गोला-बारूद भी कम हो रहा था। इस बीच पाकिस्तान को ये मैसेज दिया गया कि उनके सैनिक घिरे हुए हैं, आप लोग हथियार डाल दें। इसके बाद करीब एक हज़ार पाकिस्तानी सैनिक 4-5 सफेद झंडों के साथ हथियार डालने हमारे फॉरवर्ड कंपनी कमांडर के पास पहुंचे थे।’ 

मेजर कार्डोजो ने आगे बताया कि पाकिस्तान के एक युद्धबंदी सर्जन मेजर मोहम्मद बशीर को उनका ऑपरेशन करने का आदेश मिला था। पहले तो उन्होंने ऑपरेशन कराने से मना कर दिया, लेकिन बाद में पता चला कि भारतीय सेना के पास कोई हेलिकॉप्टर उपलब्ध नहीं है तो वह पाकिस्तानी मेजर बशीर से ऑपरेशन कराने के लिए तैयार हो गए। कार्डोजो के मुताबिक उस वक्त उन्होंने उस डॉक्टर को उन्हें धन्यवाद तक नहीं कहा जिसका उन्हें आज भी मलाल है।गोरखा रेजीमेंट के मेजर कार्डोजो ने लड़ाई में अपना पैर गंवाने के बाद भी जीवन में कभी हार नहीं मानी। मेजर कार्डोजो इंडियन आर्मी के पहले डिसएबल अफसर बने, जिन्होंने एक बटालियन को कमांड किया। सरकार ने पाक युद्ध में बहादुरी के लिए उन्हें सेना मेडल से नवाजा था।

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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