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Saturday, June 28, 2025

7th Pay Commission: जुलाई से केंद्रीय कर्मचारियों के महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी संभव

कोरोना वायरस महामारी के कारण पैदा हुए आर्थिक हालात के मद्देनजर केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों के महंगाई भत्ते को रोक रखा है। सरकार ने जनवरी 2020 से महंगाई भत्ता रोक दिया था। यह रोक जून 2021 तक है।

17 से 28 फीसदी हो सकता है डीए 
जनवरी 2020 में केंद्रीय कर्मचारियों का डीए चार फीसदी बढ़ा था। इसके बाद दूसरी छमाही (जून 2020) में इसमें तीन फीसदी का इजाफा हुआ। अब जनवरी 2021 में यह चार फीसदी बढ़ा है। इस तरह डीए 17 फीसदी से बढ़कर 28 फीसदी होने से कर्मचारियों को लाभ होगा। हालांकि सरकार ने पिछले साल जनवरी से ही इसमें रोक लगाई हुई है।

पीएफ बैलेंस में भी होगी बढ़ोतरी 
पीएफ का कैलकुलेशन हमेशा वेतन और महंगाई भत्ते को जोड़कर किया जाता है। इसलिए महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी से पीएफ बैलेंस में भी बढ़ोतरी होगी। डीए में बढ़ोतरी से केंद्रीय कर्मचारियों की डीए, एचआरए, ट्रेवल अलाउंस (TA) और मेडिकल अलाउंस सीधे तौर पर प्रभावित होगा। डीए 17 फीसदी से बढ़कर 28 फीसदी होने से न केवल केंद्रीय कर्मचारी की सैलरी में बढ़ोतरी होगी बल्कि इससे पीएफ में उनका योगदान भी बढ़ेगा। पीएफ बैलेंस बढ़ने से उस पर ब्याज भी ज्यादा मिलेगा। केंद्र सरकार के कर्मचारियों की पीएफ कंट्रीब्यूशन बेसिक सैलरी प्लस डीए के आधार पर तय होता है। ऐसे में महंगाई भत्ता बढ़ने से पीएफ कंट्रीब्यूशन में भी इजाफा होगा।

जून 2021 तक फ्रीज है महंगाई भत्ता
पूर्व कर्मचारियों को भी डीआर बेनिफिट्स पर लगी रोक हटाए जाने का बेसब्री से इंतजार है। सरकार ने जून 2021 तक डीए और डीआर फ्रीज कर रखा है। अगर जुलाई में डीए और डीआर बहाल होता है तो इसका फायदा केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पूर्व कर्मचारियों को होगा। ऐसे में अगर महंगाई भत्ता बहाल होता है तो लगभग 58 लाख पेंशनर्स को इसका फायदा मिलेगा। 

क्या है महंगाई भत्ता?
मालूम हो कि महंगाई भत्ता वेतन का एक हिस्सा है। यह कर्मचारी के मूल वेतन का एक निश्चित फीसदी होता है। देश में महंगाई के असर को कम करने के लिए सरकार अपने कर्मचारियों को महंगाई भत्ते का भुगतान करती है। इसे समय-समय पर बढ़ाया जाता है। रिटायर कर्मचारियों को भी इसका लाभ मिलता है। 

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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