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Sunday, December 22, 2024

नकली और नशे की दवाओं के बड़े नेटवर्क का खुलासा

ताजनगरी आगरा में ड्रग विभाग ने पहली बार सही निशाने पर तीर चलाया है। फव्वारा बाजार की दो फर्मों के कंप्यूटर डाटा के विश्लेषण में प्रथम दृष्टया नकली और नशे की दवाइयों के बड़े नेटवर्क का पता चला है। यह फर्में कई राज्यों में भ्रूण हत्या में काम आने वाली किट की सप्लाई भी करती हैं। इसके भी प्रमाण मिले हैं। डाटा का विश्लेषण चल रहा है।

औषधि विभाग को हरियाणा और राजस्थान से लगातार गोपनीय सूचनाएं मिल रही थीं। इनके मुताबिक आगरा से इन राज्यों में अवैध रूप से भ्रूण हत्या में प्रयोग की जाने वाली औषधीय किटों की सप्लाई हो रही है। विभाग ने गुप्त रूप से इन फर्मों के बारे में पता लगाया। गोगिया मार्केट फव्वारा में माधव ड्रग हाउस और एके एंटरप्राइजेज के नाम सामने आए। ड्रग विभाग ने दोनों प्रतिष्ठानों पर उपलब्ध मास्टर कंप्यूटर के साफ्टवेयर का डाटा और हार्ड डिस्क का बैकअप कब्जे में किया। शुरुआती जांच में काफी-कुछ संदेहास्पद डाटा मिला है। एक फर्म के नशीली दवाओं के कारोबार में लिप्त होने की भी आशंका है। फिलहाल डाटा का विश्लेषण चल रहा है। जरूरत पड़ने पर विभाग बेंगलुरु स्थित लैबोरेटरी की सेवाएं भी ले सकता है। विभाग के मुताबिक प्रथम दृष्टया गुप्त सूचनाएं सत्य होने की आशंका है। अब सुबूत जुटाए जा रहे हैं। जांच पूरी होने के बाद नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

30 करोड़ से ऊपर का कारोबार
दोनों फर्मों के डाटा विश्लेषण से पता चला है कि इनका कारोबार करीब 40 करोड़ रुपये सालाना का है। यह और भी बड़ा हो सकता है। इनमें से एक फर्म का कारोबार दूसरी से थोड़ा कम है। अधिक कारोबार वाली फर्म की जांच में कुछ और बड़ी गड़बड़ियां सामने आई हैं। फिलहाल इसका खुलासा नहीं किया गया है। 

रूट फाइलों ने खोली सारी पोल
दवा कारोबारी अक्सर कंप्यूटर और लैपटाप का डाटा डिलीट करते रहते हैं। फाइलों को बदलते (टैंपर्ड) करते हैं। लेकिन इन गतिविधियों की एक रूट फाइल बनती रहती है। विशेषज्ञ इसके सहारे कंप्यूटर की पूरी हिस्ट्री खोज लेते हैं। इस मामले में भी यही किया गया। यानि पहली बार सही निशाने पर तीर चलाया गया है। 

सिर्फ पुलिस ही करती रही कार्रवाई
बीते साल और इस बार गर्मियों में पंजाब, दिल्ली पुलिस के छापेमारी होती रही। कई बार राजस्थान और मध्य प्रदेश पुलिस भी आई। औषधि विभाग को भनक तक नहीं लगने दी गई। नशे और नशीली दवाओं के कारोबार का भंडाफोड़ किया। जबकि यह काम औषधि विभाग का है। उसे अपने ही शहर की भनक नहीं लगती। 

संदेह के पुख्ता कारण
1. फर्जी नाम:- गर्भपात करने वाली किट को छद्म (फर्जी) नामों से डेटा में सेव किया गया है। इसकी बिक्री भी इसी तरह की जा रही है। यह जांच एजेंसियों को गुमराह करने के लिए किया गया है। 
2. नशीली दवाएं:- नारकोटिक्स की दवाओं की खरीद-फरोख्त के भी संकेत मिले हैं। प्रतिबंधित दवाइयों की बिक्री के रिकार्ड भी मिले हैं। यह नशे के कारोबार के नेटवर्क का संदेह पैदा कर रहा है। 
3. बड़ा नेटवर्क:- अमूमन कारोबारी करीबी राज्यों में ही पैर पसारते हैं। इन फर्मों का कारोबार बांग्लादेश और नेपाल के अलावा राजस्थान, एमपी, प. बंगाल, एमपी, छत्तीसगढ़, पंजाब, दिल्ली, हरियाणा, जम्मू कश्मीर, हिमाचल, उत्तराखंड, दिल्ली, उत्तर प्रदेश में फैला है। प्रारंभिक जांच में इसके सुबूत मिले हैं। 

इतिहास की बड़ी कार्रवाई
औषधि विभाग की मानें तो यह उत्तर प्रदेश या करीबी राज्यों में हुईं अभी तक की सबसे बड़ी तीसरी कार्रवाई हो सकती है। इससे पहले भी इसी तरह की दो कार्रवाई की गई हैं। इनमें भी करोड़ों का माल जब्त किया गया था। जबकि एक दर्जन से अधिक आरोपियों को जेल भेजा गया था। 
2018:- हसनपुर, जिला अमरोहा में 3.50 करोड़ की नकली और नशे की दवाइयां बरामद की गई थीं। इस मामले में सात आरोपियों को गिरफ्तार करके जेल भेजा गया था। 
2019:- रुड़की (उत्तराखंड) में एक ही दिन में पांच फैक्ट्री पकड़ी गई थीं। यहां करीब 5.0 करोड़ का माल जब्त किया गया था। इस मामले में भी सात आरोपित जेल गए थे। 

इस तरह आगे बढ़ेगी जांच
1. सबसे पहले डाटा का विश्लेषण किया जाना है। 
2. साक्ष्य के लिए इनके प्रिंट आउट निकाले जाएंगे।
3. धंधे में लिप्त लोगों के नाम-पतों की सूची बनेगी। 
4. भौतिक रूप से दवाओं की छापेमारी की जाएगी। 
5. दवाओं के सैंपल लेकर प्रयोगशाला भेजे जाएंगे। 
6. जांच रिपोर्ट के मुताबिक मुकदमे दर्ज किए जाएंगे। 
7. पुलिस की मदद से आरोपियों की गिरफ्तारी होगी।

हर बार छोड़ देता है ड्रग विभाग
जिला आगरा केमिस्ट एसोसिएशन का कहना है कि ड्रग विभाग दवा बाजार की नामचीन दुकानों पर सर्वे कर रहा है। बाहर की टीमें पहले भी सर्वे कर चुकी हैं। मगर दलाल मध्यस्थता करा देते हैं। किसी को कानों-कान खबर नहीं लगती। दोषी छोड़ दिए जाते हैं। जबकि निर्दोष छोटे दुकानदारों पर कार्रवाई कर दी जाती है। पहले भी एक ड्रग इंस्पेक्टर ने नकली और नशीली दवा बेचने वालों से 35 लाख रुपये की घूस ली थी। आरोपी ड्रग इंस्पेक्टर के खिलाफ भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। इन्हीं अधिकारियों की छाया में गलत कारोबार बढ़ रहा है। अध्यक्ष आशू शर्मा, राम अवतार शर्मा, पिंकी सक्सेना, जय किशन भक्तानी, देवेंद्र अग्रवाल, अंशुल अग्रवाल ने पारदर्शी कार्रवाई का अनुरोध किया है। 

यह सोच से भी बहुत बड़ा मामला हो सकता है। इसमें नकली और नशीली दोनों तरह की दवाएं हैं। अभी जांच चल रही है। प्रथम दृष्टया बहुत-कुछ संदेहास्पद है। जरूरत पड़ने पर डाटा का विश्लेषण दूसरी प्रयोगशालाओं में भी कराई जा सकती है। इसके बाद विधिक कार्रवाई की जाएगी।- नरेश मोहन दीपक, औषधि निरीक्षक

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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